बुधवार, जुलाई 24, 2013

शेर-ओ-सुखन

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हमदर्दियाँ ख़ुलूस दिलासे तसल्लियाँ 
दिल टूटने के बाद तमाशे बहुत हुए !!
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तुम अपने बारे में कुछ देर सोचना छोड़ो 
तो मैं बताऊँ कि तुम किस कदर अकेले हो !!
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ज़माना मेरा बड़ा एहतराम करता है 
उठा के ताक में जब से उसूल रखे हैं !!
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तमाम काम अधूरे पड़े रहे मेरे 
मैं जिंदगी पे बहुत ऐतबार करता था !!
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-- प्रकाश गोविन्द 
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3 टिप्‍पणियां:

  1. हमदर्दियाँ ख़ुलूस दिलासे तसल्लियाँ
    दिल टूटने के बाद तमाशे बहुत हुए !!

    वाह! बहुत उम्दा !

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन आभार
    तमाम काम अधूरे पड़े रहे मेरे
    मैं जिंदगी पे बहुत ऐतबार करता था !!

    जवाब देंहटाएं
  3. एक से बढ़कर एक सुन्दर शेर
    वाह वाह

    जवाब देंहटाएं

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