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शुक्रवार, सितंबर 25, 2015

होनहार मंगेतर :-)

एक लड़की अपने होने वाले मंगेतर को अपने मम्मी-पापा से मिलाने के लिए घर लेकर आयी, डिनर के बाद लड़की की माँ ने अपने पति से कहा कि कुछ लड़के के बारे में पता करो!! 
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लड़की के बाप ने लड़के को अकेले में बुलाया और उससे बातचीत करने लगे बाप ने पूछा - 
"तुम्हारा प्लान क्या है ?" 

लड़के ने कहा - "मैं रिसर्च स्कॉलर हूँ !! 

बाप ने कहा - ओह ~~ रिसर्च स्कॉलर ... बहुत अच्छे ! पर तुम मेरी बेटी को एक सुन्दर सा घर कैसे दो पाओगे, जिसकी उसे आदत है ? 

लड़के ने कहा - "मैं पढ़ाई करूँगा, , और भगवान हमारी मदद करेंगे !!" 

और तुम किस तरह उसके लिए सगाई की यादगार अंगूठी खरीदोगे ?

मैं और ज्यादा पढ़ाई करूँगा .. लड़के ने कहा बाकी भगवान हमारी मदद करेंगे !! 

और बच्चे होंगे तब ? बाप ने कहा, उन्हें कैसे पालोगे ? 

चिंता मत कीजिये सर, भगवान कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेगा !! 
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इसी तरह जितनी बार बाप ने कुछ भी पूछा, तो लड़के ने हर बार कहा कि कोई न कोई रास्ता भगवान निकाल ही लेगा !! 

बाद में लड़की की माँ ने कहा - "ये सब कैसे होगा जी ?" 

बाप ने कहा - "पता नहीं, उसके पास न कोई नौकरी है, न कोई प्लान, न ही जिम्मेदारी का एहसास है ... पर, अच्छी खबर ये है कि वो मुझे भगवान समझ रहा है !" 


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:-)  :-)  :-) 
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मंगलवार, सितंबर 08, 2015

सऊदी अरब का स्टूडेंट


आस्टेलिया में रहकर पढने वाले सऊदी अरब के स्टूडेंट ने अपने अब्बा जान को मेल किया :- 

"आस्टेलिया बहुत ही सुंदर देश है ... 
और उतने ही सुंदर यहां के लोग ... 
लेकिन मुझे उस समय शर्म आती है, जब मै 20 तोले की सोने की चेन गले में डालकर 
अपनी फरारी से कालेज जाता हूँ... जबकि सभी लोग ट्रेन से कालेज जाते हैं...." 

-- आपका बेटा नसीर 
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..
दूसरे दिन उसे 
अब्बा का मेल मिला :- 

"बेटे अब तुम्हें भी झिझकने या शर्म महसूस करने की जरुरत नही ... 
क्योंकि मैंने तुम्हारे खाते में 20 मिलियन डॉलर डाल दिये हैं.... जाओ तुम भी ट्रेन ले लो....." 

-- तुम्हारा बाप अल हबीबी 
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:-) :-) :-) 
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गाँव का क़ानून ... !! :-)

एक बार संता ने एक कबूतर का शिकार किया, वह कबूतर जाकर एक खेत में गिरा ! 
जब संता उस खेत में कबूतर को उठाने पहुंचा तभी एक किसान वहां आया और संता को पूछने लगा कि 
वह उसकी प्रोपर्टी में क्या कर रहा है ? 

संता ने कबूतर को दिखाते हुए कहा – 
“मैंने इस कबूतर को मारा और ये मर कर यहाँ गिर गया मैं इसे लेने आया हूँ!” 

किसान – “ये कबूतर मेरा है क्योंकि ये मेरे खेत में पड़ा है!” 

संता – “क्या तुम जानते हो तुम किससे बात कर रहे हो?” 

किसान – “नहीं मैं नहीं जानता और मुझे इससे भी कुछ नहीं लेना है कि तुम कौन हो!” 

संता – “मैं हाईकोर्ट का वकील हूँ, अगर तुमने मुझे इस कबूतर को ले जाने से रोका तो मैं तुम पर ऐसा मुकदमा चलाऊंगा कि तुम्हें तुम्हारी जमीन जायदाद से बेदखल कर दूंगा और रास्ते का भिखारी बना दूंगा!” 

किसान ने कहा – “हम किसी से नहीं डरते …..........समझे ?
हमारे गाँव में तो बस एक ही कानून चलता है… लात मारने वाला!” 

संता – “ये कौन सा क़ानून है … मैंने तो कभी इसके बारे में नहीं सुना !” 

किसान ने कहा -“मैं तुम्हें तीन लातें मारता हूँ अगर तुम वापिस उठकर तीन लातें मुझे मार पाओगे तो 
तुम इस कबूतर को ले जा सकते हो !” 

संता ने सोचा ये ठीक है ये मरियल सा आदमी है, इसकी लातों से मुझे क्या फर्क पड़ेगा ! 
ये सोचकर उसने कहा – “ठीक है मारो!” 

किसान ने बड़ी बेरहमी से संता को पहली लात टांगों के बीच में मारी, जिससे संता मुहं के बल झुक गया! 
किसान ने दूसरी लात संता के मुहं पर मारी, जिसके पड़ते ही वह जमीन पर गिर गया! तीसरी लात किसान ने संता की पसलियों पर मारी. 

बहुत देर बाद संता उठा और जब लात मारने के लायक हुआ तो किसान से बोला – “अब मेरी बारी है!” 

किसान – “चलो छोड़ो यार ... झगडे में क्या रखा है ...  ये कबूतर तुम ही रखो !” 

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:-) :-) :-)
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सोमवार, सितंबर 07, 2015

गोल गप्पे वाला और बेचारा मैं :-)


रविवार का दिन था, आज गोल गप्पे खाने की इच्छा हुयी। शाम को गोलगप्पे का ठेला जो कि हमारी कॉलोनी के बाहर रोड पर ही खड़ा रहता है, वहीँ चले गए और देखा तो वहाँ काफी भीड़ थी...लोग हाथ में प्लेट लेकर लाइन में लगे हुए थे। तकरीबन 15 मिनिट के बाद हमारा भी नम्बर आ गया.... लेकिन उस 15 मिनट के दौरान में यह सोचता रहा कि - 
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बेचारा क्या कमाता होगा ... ?? 
बेचारा बड़ी मेहनत करता है ... ?? 
बेचारा घर का गुजारा कैसे चलाता होगा ... ??
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जब हमारी बारी आई तो मैंने गोल गप्पे वाले से यूँही पूछ लिया - 
"भाई क्या कमा लेते हो दिन भर में" (मुझे उम्मीद थी की 300-400 रुपये बन जाता होगा गरीब आदमी का) -- 
गोल गप्पे वाला - "साहब जी भगवान की कृपा से माल पूरा लग जाता है" 
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मैंने पुछा - "मैं समझा नही भाई, मतलब जरा अच्छे से समझाओ" 
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गोल गप्पे वाला - "साहब हम सुबह में 7 बजे घर से 3000 गोलगप्पे लेकर के निकलते है और शाम को 7 बजने से पहले भगवान की कृपा से सब माल लग जाता है" 
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मैंने हिसाब लगाया कि यह 10 रुपये में 6 गोल गप्पे खिलाता है मतलब की 3000 गोल गप्पे बिकने पर उसको 5000 रुपये मिलते होंगे और अगर 50% उसका प्रॉफिट मान लें तो वह दिन के 2500 रुपये या उससे भी ज्यादा कमा लेता है...!!! यानी कि महीने के 75,000 रुपये !!! 
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यह सोचकर तो मेरा दिमाग चकराने लगा.... 
अब मुझे गोलगप्पे वाला बेचारा नजर नही आ रहा था...बेचारा तो मैं हो गया था...!! 

एक 7-8 क्लास पढ़ा इन्सान इज्जत के साथ महीने के 75,000 रुपये कमा रहा है... 
उसने अपना 45 लाख का घर ले लिया है...और 4 दुकाने खरीद कर किराये पर दे रखी है 
जिनका महीने का किराया 30,000 रुपये आता है...। 
और हमने वर्षों तक पढ़ाई की, उसके बाद 20-25 हजार की नौकरी कर रहे है.... 
किराये के मकान में रह रहे है... यूँ ही टाई बांधकर झुठी शान में घूम रहे हैं...  
दिल तो किया की उसी गोलगप्पे में कूदकर डूब जाऊं... 
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किसी ने सही कहा है ... 
"Dont Under Estimate Power of The Common Man
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:-) :-) :-)
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कला पारखी और जुम्मन मियां


बाजार की एक गली में जुम्मन मियां की छोटी सी मगर बहुत पुरानी कपड़े सिलाई की दुकान थी। उनकी इकलौती सिलाई मशीन के बगल में एक बिल्ली बैठी एक पुराने गंदे कटोरे में दूध पी रही थी। 

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एक बहुत बड़ा कला पारखी जुम्मन मियां की दुकान के सामने से गुजरा। बिल्ली के कटोरे को देख वह आश्चर्यचकित रह गया। वह कला-पारखी होने के कारण जान गया कि कटोरा एक एंटीक आइटम है और कला के बाजार में बढ़िया कीमत में बिकेगा, लेकिन वह ये नहीं चाहता था कि जुम्मन मियां को इस बात का पता लगे कि उनके पास मौजूद वह गंदा सा पुराना कटोरा इतना कीमती है। 
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कला-पारखी ने दिमाग लगाया और जुम्मन मियां से बोला - 
'बड़े मियां आदाब ! आप की बिल्ली बहुत प्यारी है, मुझे पसंद आ गई है। क्या आप बिल्ली मुझे देंगे? 
चाहे तो कीमत ले लीजिए।' 
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जुम्मन मियां ने पहले तो इनकार किया मगर जब कला-पारखी कीमत बढ़ाते-बढ़ाते दस हजार रुपयों तक पहुंच गया तो जुम्मन मियां बिल्ली बेचने को राजी हो गए।
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कला-पारखी जुम्मन मियां को दाम चुकाकर  बिल्ली लेकर जाने लगा। अचानक वह रुका और पलटकर जुम्मन मिया से बोला - 
"बड़े मियां बिल्ली तो आपने बेच दी। अब इस पुराने कटोरे का आप क्या करोगे? इसे भी मुझे ही दे दीजिए। बिल्ली को दूध पिलाने के काम आएगा। चाहे तो इसके भी 100-50 रुपए ले लीजिए।' 
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जुम्मन मियां ने जवाब दिया - 
"नहीं साहब, कटोरा तो मैं किसी कीमत पर नहीं बेचूंगा, क्योंकि इसी कटोरे की वजह से आज तक मैं 50 बिल्लियां बेच चुका हूं। 
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:-) :-) :-)
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काग दही पर जान गँवायो :-)


एक बार एक कवि हलवाई की दुकान पहुँचे, जलेबी और दही ली और वहीं खाने बैठ गये। 
इतने में एक कौआ कहीं से आया और दही की परात में चोंच मारकर उड़ चला। 
हलवाई को बड़ा गुस्सा आया उसने पत्थर उठाया और कौए को दे मारा। 
कौए की किस्मत ख़राब, पत्थर सीधे उसे लगा और वो मर गया। 
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कवि महोदय के हृदय में ये घटना देख  दर्द जगा। 
वो जलेबी, दही खाने के बाद पानी पीने पहुँचे तो उन्होने एक कोयले के टुकड़े से वहाँ एक पंक्ति लिख दी :- 
"काग दही पर जान गँवायो" 
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तभी वहाँ एक लेखपाल महोदय जो कागजों में हेराफेरी की वजह से निलम्बित हो गये थे, पानी पीने पहुँचे। 
कवि की लिखी पंक्तियों पर जब उनकी नजर पड़ी तो अनायास ही उनके मुँह से निकल पड़ा, कितनी सही बात लिखी है! क्योंकि उन्होने उसे कुछ इस तरह पढ़ा - 
"कागद ही पर जान गँवायो" 
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तभी एक मजनू टाइप लड़का पिटा-पिटाया सा वहाँ पानी पीने पहुँचा। उसने पढ़ा तो उसे भी लगा कि 
कितनी सच्ची बात लिखी है, काश उसे ये पहले पता होती, 
क्योंकि उसने उसे कुछ यूँ पढ़ा था- 
"का गदही पर जान गँवायो" 
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शायद इसीलिए तुलसीदास जी ने बहुत पहले ही लिख दिया था, 
"जाकी रही भावना जैसी ........................ 
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शनिवार, सितंबर 05, 2015

हिंदी के अध्यापक और साइकल मिस्त्री


परसों की बात है 

हिंदी के अध्यापक मिश्रा जी साइकिल मिस्त्री की दुकान पे हवा डलाने पहुँचे 

मिश्रा जी :- लो भाई !!! अगले पहिये में हवा डाल दो. थोड़ी कम है 

दुकानदार :- मास्साब ! आप तो हिंदी के टीचर हो जरा शुद्ध हिंदी में बताओ तो हम भी जाने कि आप हमारे बच्चों को कितना अच्छे से हिंदी पढ़ाते हो. 

मिश्राजी :- प्रथम तो ये, क़ि मुझे शिक्षक उदबोधित् कीजिये टीचर नहीं ... अब सुनो :

"हे कनस्तरनुमा ! लौह~गुमठि में विराजमान द्विचक्र~वाहिनी सुधारक, मेरी द्विचक्र~वाहिनी के अग्रिम चक्र से अल्प वायु निगमन कर गयी है ,,, कृपया अपने वायु-रेचक यंत्र से अग्रिम चक्र में थोड़ी वायु प्रविष्ट करने की कृपा करें, ताकि मैं नियत समय पर पहुँच कर, आप जैसे मूढ़मति पिता के ज्ञानरिक्त मस्तिष्क लिये बैठे पुत्रों के मस्तिष्क में ज्ञान की प्रविष्टि करने की अपनी दैनिक क्रिया को पूर्ण कर सकूँ ... . समझे ??? 


तब से आज तक साइकिल वाले दुकानदार का सिर घूम रहा है ! .
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:-) :-) :-) 
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चोर और ख्वाब की ताबीर


रात में एक चोर घर में घुसता है। 
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कमरे का दरवाजा खोला तो मुसहरी पर एक बूढ़ी खूसट औरत सो रही थी। 
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चोर की खटपट से उसकी आंख खुल गई। चोर ने घबरा कर देखा तो वह लेटे लेटे बोली - 

''बेटा, तुम देखने से किसी अच्छे घर के लगते हो, लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस रास्ते पर लग गए हो। चलो कोई बात नहीं।अलमारी के तीसरे बक्से में एक तिजोरी है। इसमें का सारा माल तुम चुपचाप ले जाना।" 
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"अच्छा .... जरा सुनो बेटा ... पहले मेरे पास आकर बैठो, मैंने अभी-अभी एक ख्वाब देखा है । वह सुनकर जरा मुझे इसकी ताबीर तो बता दो।" 
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चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा मुतास्सिर हुआ और चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया। बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरु किया - 

''बेटा मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गइ हूँ। ऐसे में एक चील मेरे पास आई और उसने 3 बार जोर-जोर से बोला - माजिद। । माजिद। । माजिद !!! बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आंख खुल गई। जरा बताओ तो इसकी क्या ताबीर हुई?'' 
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चोर सोच में पड़ गया। इतने में बराबर वाले कमरे से बुढ़िया का नोजवान बेटा माजिद अपना नाम ज़ोर-ज़ोर से सुनकर उठ गया और अंदर आकर चोर की जमकर ठुकाई लगाई। 
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बुढ़िया बोली - ''बस करो अब यह अपने किए की सजा भुगत चुका।" 
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''चोर बोला - नहीं नहीं .. मेरी और ठुकाई करो हरामखोरों ताकि मुझे आगे याद रहे कि मैं चोर हूँ सपनों की ताबीर बताने वाला नहीं।'' 
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:-) :-) :-) 
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अम्बानी की मेहमान नवाज़ी :-)

मुकेश अम्बानी के एक फैमिली फ्रेंड ने कहा :- 
"इसीलिए मैं मुकेश अम्बानी के घर नहीं जाता" 

एक बार मैं एंटीलिया गया,,,, नीता भाभी बोलीं--- 
"क्या लेंगे भाईसाहब, फ्रूट जूस...सोडा...चाय...कॉफी... हॉट चॉकलेट...इटैलियन चाय या फ्रोज़न कॉफी ?" 
उत्तर--- "चाय ले लूँगा, भाभी जी" 

प्रश्न--- "सीलोन टी...इन्डियन टी...हर्बल टी...बुश टी...हनी बुश टी...स्पेशल चाइना टी...कोरियन टी...
आइज्ड टी...या ग्रीन टी ?" 
उत्तर--- "जी, सीलोन टी" 

प्रश्न--- "भैंस का दूध...गाय का दूध या बकरी का या... ?" 
उत्तर--- "बस...बस...भाभीजी, गाय का दूध" 

प्रश्न--- "फ्रीजलैंड की गाय...आफ्रिकन गाय या...भारतीय गाय..या..?" 
उत्तर-- "रहने दीजिये भाभी जी, मुझे ब्लैक टी ही पिला दीजिये" 

प्रश्न--- "शक्कर के साथ...स्वीटनर....एस्पार्टम....शहद...या..?" 
उत्तर--- "जी, शक्कर के साथ" 

प्रश्न--- "बीट शुगर या कैन शुगर या...?" 
उत्तर--- "जी, कैन शुगर" 

प्रश्न--- "व्हाइट या ब्राउन शुगर या..?" 
उत्तर--- "अरे चाय को छोड़िये ना भाभी जी, आप तो बस एक गिलास पानी पिला दीजिए" 

प्रश्न--- "मिनरल वाटर...टेप वाटर...स्पर्कलिंग वाटर...या डिस्टिल्ड वाटर...या...?" 
उत्तर--- "मिनरल वाटर" 

प्रश्न--- "फ्लेवर्ड या नॉन फ्लेवर्ड...या..?" 
उत्तर---" जी....नॉन फ्लेवर्ड" 

प्रश्न--- "बिसलरी...एक्वाफिनो....हिमालयन...नीर....न्यासा....या......?" 
उत्तर---" माफ़ कीजिये भाभी जी, मुझे तो लगता है मैं, प्यास से ही मर जाऊँग" 

प्रश्न--- "आप कैसी मृत्यु चाहेंगे ? हमारे शेयर होल्डर होकर....या हमारे ऑथराइज्ड डीलर...
या सप्लायर.... या कस्टमर बनकर ....? " 


:-) :-) 
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मानसिक रोगी का परीक्षण :-)


एक मानसिक चिकित्सालय में एक पत्रकार ने डॉक्टर से प्रश्न किया :- 

"आप कैसे पहचानते हैं कि कौन मानसिक रोगी है और कौन नहीं ? " 

डॉक्टर -- "हम एक बाथटब को पानी से पूरा भर देते हैं और मरीज को, एक चम्मच एक गिलास और एक बाल्टी देकर कहते हैं कि वो बाथटब को खाली करे।" 

पत्रकार -- "अरे वाह, बहुत बढ़िया। यानी जो नार्मल व्यक्ति होता होगा वो बाल्टी का उपयोग करता होगा क्योंकि वो चम्मच और गिलास से बड़ी होती है" 

डॉक्टर ---" जी नहीं..... नार्मल व्यक्ति बाथटब में लगे हुए ड्रेन प्लग को खींच कर टब को खाली करता है। 
आप 39 नंबर के बैड पर जाइए ताकि हम आप की पूरी जाँच कर सकें। " 



[अगर आप ने भी बाल्टी ही सोचा था तो कृपया बैड नंबर 40 पर जाइए] 

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बुधवार, मार्च 11, 2015

खुली लूट मचा रखी है .... :-)


फोटोग्राफर ने उठते हुए टीचर से कहा - 
"तो एक ग्रुप फोटो का मैं 30 रुपये लूँगा आप मैनेज करके मुझे इन्फार्म कर देना, मैं आ जाऊँगा" 
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टीचर क्लास में - 
"सुनो बच्चों तुम लोगों का ग्रुप फोटो शूट होना है ... सब लोग अपने-अपने घर से पचास रुपये लेकर आना" 
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चिंटू अपने दोस्त से - 
 "ये सब टीचर लोगों की मिलीभगत होती है ! एक फोटो के 20 रुपया लगते हैं और हम लोगों से 50-50 रुपये लिए जा रहे हैं .... मतलब एक बच्चे से 30 रुपये बचायेंगे .. अकेले अपनी क्लास में 60 बच्चे हैं तो 60 x 30 = 1800 रुपये ... खुली लूट मचा रखी है इन लोगों ने" 
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चिंटू घर पर मम्मी से - 
"मम्मी स्कूल में ग्रुप फोटो शूट होने वाला है ... टीचर ने 100 रुपये मंगाए हैं" 

मम्मी - 100 रुपये ?? इन लोगों ने तो खुली लूट मचा रखी है ... रुक बेटा शाम को पापा से मांगूगी" 
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मम्मी रात को पापा से - 
 "अरे सुनते हो ~~ चिंटू के स्कूल में ग्रुप फोटो के लिए 200 रुपये मांगे गए हैं" 

पापा - "स्कूल वालों ने खुली लूट मचा रखी है .. जाओ पर्स से 200 निकाल लो"
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:-) :-) :-)

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शनिवार, दिसंबर 27, 2014

कुत्तों को जलेबियाँ :-)

इन्कम टैक्स अधिकारी :- 
"बाकी तो सब ठीक है सेठ जी ,,, लेकिन आपने कुत्तों को जलेबी खिलाने का खर्चा पांच लाख रुपये जो लिखा है, उससे हम संतुष्ट नहीं हैं ! क्या आप उस खर्चे से सम्बंधित कोई दस्तावेज पेश कर सकते हैं ?" 
--- 
सेठ जी :- 
"नहीं साहब ,,, इसके दस्तावेज मेरे पास नहीं हैं" 
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इन्कम टैक्स अधिकारी :- 
"चलो फिर हम बात को यहीं रफा-दफा कर लेते हैं ,,, इसके बदले आप हमें दस हजार रुपये दे दें" 
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सेठ जी मान गए और बोले :- 
"ठीक है मैं आपको दस हजार रुपये दे देता हूँ ....." 
--- 
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सेठ जी ने मुनीम को आवाज़ लगाई :- 
"मुनीम जी इन लोगों को दस हजार रुपये दे दो और खाते में लिख देना कि 
कुत्तों ने दस हजार की जलेबियाँ और खायीं" 
'
:-)  :-)  :-)
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The End 
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शुक्रवार, अक्तूबर 10, 2014

मंत्री जी का साला

पूलिस विभाग मे भर्ती की प्रक्रिया चल रही थी,
भर्ती प्रक्रिया मे मंत्री जी का साला भी भाग ले रहा था,
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स्वभाविक था कि
सब अपनी ओर से जो चापलूसी कर सकते थे, करने का प्रयास कर रहे थे
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500 मीटर की रेस पूरी हुईं,
मंत्री जी के साले साहब ने 4 मिनट 30 सेकेण्ड मे रेस पूरी की !
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उपनिरीक्षक ने लिस्ट बनाते समय 4 मिनट कर दिया
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लिस्ट जब आफिस पहुँची, तो अधिकारी ने सोचा 4 मिनट मे रेस पूरी की है,
उसने उसे 3 मिनट 30 सेकेण्ड कर दिया !
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इसी प्रकार लिस्ट डी.एस.पी , एस.पी और डी.आई.जी से होती हुई
आई.जी के पास पहुँची तब समय 1 मिनट 35 सेकेण्ड तक हो गया था
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आई जी ने जैसे ही लिस्ट को देखा चौक पड़े ....
उन्होंने अपने पी ए से पूछा -
"ये कौन है जिसने 1 मिनट 35 सेकेण्ड मे रेस पूरी की ?"
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पी ए ने बताया - "सर मंत्री जी का साला है"
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आई.जी बोले :-
"अबे भूतनी के वो सब तो ठीक है,
लेकिन विश्व रिकार्ड का तो ध्यान रखते"

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 The End
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रविवार, सितंबर 14, 2014

जन धन योजना वाया भेजा फ्राई

ग्राहक - जन धन योजना में खाता खुलवाना है ।
बैंकर - खुलवा लीजिये ।
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ग्राहक - क्या जीरो बैलेंस में खाता खुल रहा है ?
बैंकर - (मन ही मन में - साले पता नहीं है क्या तुझे) हाँ जी फ्री में खुलवाओ ।
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ग्राहक - इसमें सरकार कितना पैसा डालेगी ?
बैंकर - जी अभी तो कुछ पता नहीं ।
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ग्राहक - तो मैं ये खाता क्यूँ खुलवाऊं ?
बैंकर - जी मत खुलवाइये ।
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ग्राहक - फिर भी सरकार कुछ तो देगी ।
बैंकर - आपको फ्री में ATM मिल जाएगा ।
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ग्राहक - जब उसमे पैसे ही नहीं होंगे मैं ATM का क्या करूँगा ।
बैंकर - पैसा डलवाओ भईया ! तुम्हारा खाता है ।
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ग्राहक - मेरे पास पैसे होते तो मैं पहले ही खाता नहीं खुलवा लेता । 
तुम खाता खोल रहे हो तो तुम डालो न पैसे ।
बैंकर - अरे भाई सरकार खुलवा रही है
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ग्राहक - तो क्या ये सरकारी बैंक नहीं है ?
बैंकर - अरे भाई सरकार तुम्हारा इंश्योरेंस फ्री में कर रही है पूरे 1 लाख रूपए का ।
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ग्राहक - खुश होते हुए , अच्छा तो ये 1 लाख मुझे कब मिलेंगे ?
बैंकर - (गुस्से में) , जब आप मर जाओगे तब आपकी बीवी को मिलेंगे ।
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ग्राहक - चौंक कर , तो तुम लोग मुझे मारना चाहते हो और मेरी बीवी से तुम्हारा क्या मतलब है ?
बैंकर - अरे भईया, ये हम नहीं सरकार चाहती है कि...........
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ग्राहक - (बीच में बात काटते हुए) .. तुम्हारा मतलब सरकार मुझे मारना चाहती है ?
बैंकर - अरे यार मुझे नहीं पता ! तुम्हे खाता खुलवाना है क्या ?
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ग्राहक - नहीं पता का क्या मतलब । मुझे पूरी बात बताओ ।
बैंकर - अरे अभी तो मुझे भी पूरी बात का नहीं पता .......
मोदी ने कहा है खाता खोलने को तो हम खोल रहे हैं ।
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ग्राहक - अरे जब पता ही नहीं तो यहाँ क्यूँ बैठे हो ?
(जन धन का पोस्टर दिखाते हुए ) अच्छा ये 5000 का ओवर ड्राफ्ट क्या है ?
बैंकर - मतलब तुम अपने खाते से 5000 निकाल सकते हो ।
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ग्राहक - (बीच में बात काटते हुए}, ये हुई ना बात । 
यह लो आधार कार्ड, 2 फोटो और निकालो 5000 रुपये ।
बैंकर - अरे भई , ये पैसे 6 महीने बाद मिलेंगे ।
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ग्राहक - तो क्या 6 महीने तक तुम मेरे पैसों को अपने काम में इस्तेमाल करोगे ?
बैंकर - भईया ये रूपए ही 6 महीने बाद आयेंगे ।
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ग्राहक - झूठ मत बोलो.......पहले बोले कुछ नहीं मिलेगा ....फिर कहा ATM मिलेगा ....फिर बोले इंश्योरेंस मिलेगा .....फिर बोलते हो 5000 रुपया मिलेगा ....फिर कहते हो कि नहीं मिलेगा .....तुम्हे कुछ पता भी है या नहीं ?
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बैंकर बेचारा - अय्यो अम्मा, कानून की कसम, भारत माता की कसम..सच कहता हूँ मोदी जी ने अभी कुछ नहीं बताया .....तुम चले जाओ । खुदा की कसम , तुम जाओ । मेरी सैलरी इतनी नहीं है कि मैं एक साथ "ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक" का इलाज करवा सकूँ ।

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The End
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शनिवार, अगस्त 23, 2014

बिल गेट्स और बिहारी

बिल गेट्स ने अपने माइक्रोसॉफ्ट के कनाडा के बिज़नेस के लिए चेयरमैन की जॉब के लिए एक इंटरव्यू रखा... इंटरव्यू के लिए 5000 लोग एक बड़े होल में इकट्ठा हुए...

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इन सब में एक कैंडिडेट पटना, बिहार से भी थे... नाम था ‘रघुवीर यादव’
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बिल गेट्स :- इंटरव्यू में आने के लिए आप सबका शुक्रिया...
जो लोग java नहीं जानते हैं, वो जा सकते हैं
(ये सुन कर 2000 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
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‘रघुवीर यादव’ ने मन में सोचा, “मुझे कौन-सा ससुरी java आती है... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है”
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बिल गेट्स :- जिन लोगों को 100 लोगों से बड़ी टीम को मैनेज करने का तजुर्बा नहीं हैं, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 2000 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
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‘रघुवीर यादव’ ने मन में सोचा, “मैंने तो ससुरी भैंस भी एक साथ 3 से ज्यादा नहीं चराई... ये 100 लोगों की टीम मैनेज करने की बात कर रहा है... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है”
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बिल गेट्स :- जिन लोगों के पास मैनेजमेंट का डिप्लोमा नहीं है, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 500 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
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‘रघुवीर यादव’ ने मन में सोचा, “मैंने तो 8वी क्लास में ही स्कूल छोड़ दिया था... ये ससुरा डिप्लोमा की बात कर रहा है... ... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है...”
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सबसे आखिर में बिल गेट्स ने कहा :- जो लोग जापानी भाषा में बात नहीं कर सकते, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 498 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
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‘रघुवीर यादव’ ने मन में सोचा, “मुझे तो जापानी भाषा का एक शब्द भी नहीं आता... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है...”
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अब ‘रघुवीर यादव’ ने पाया की वो खुद और सिर्फ़ एक ही और candidate इंटरव्यू के लिए बचे हैं... बाकी सब जा चुके थे...
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बिल गेट्स उन दोनों के पास आया और उनसे कहा, “जैसा की आप देख सकते हैं कि अब सिर्फ़ आप दोनों ही हैं candidate बचे हैं जो जापानी भाषा जानते हैं... में चाहूँगा कि आप दोनों आपस में जापानी में बात करके दिखाएँ”
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‘रघुवीर यादव’ ने धीरे से दूसरे candidate से पूछा :- “कौन जिला घर पड़ी हो..??”
दूसरे ने जवाब दिया, “छपरा... ...और तोहार ?”

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The End
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बुधवार, जुलाई 30, 2014

लतेहड़पंती


शतरंजी लतेहड़पंती पर एक किस्सा याद आया .. 
आप भी सुनिए -
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पुरानी बात है
शोर-शराबे से दूर ,, खंडहर हो चुकी एक इमारत के बरामदे में मिर्ज़ा साहब रोजाना अपने दोस्त अनवर मियां के साथ शतरंज की बिसात जमाए रहते ! आज मिर्ज़ा साहब बहुत ताव खाए हुए थे ,,, लगातार दो बाजियों में करारी शिकस्त खाने के बाद तीसरी बाजी बिछी हुयी थी !
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तभी मिर्ज़ा साहब का छोटा बेटा दौड़ता हुआ आया - 
"अब्बू घर चलिए अम्मी की तबियत खराब हो गयी है"
मिर्ज़ा साहब का दिमाग अपने ऊँट को बचाने में लगा हुआ था, बिसात पर नजरें गडाए हुए बोले - 
"जाकर जल्दी से हकीम साहब को बुला लाओ ... मैं आता हूँ"
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थोड़ी देर बाद मिर्ज़ा साहब का मंझला बेटा भागता-हांफता हुआ आया - 
"अब्बू हकीम जी ने जवाब दे दिया, कह रहे हैं अब कोई दवा असर नहीं कर रही"
मिर्ज़ा साहब अगली चाल सोचते हुए बोले - 
"हम्म ,,,, ऐसा करो तुम सब अम्मी के पास ही रहो, देखभाल करो ... मैं आ रहा हूँ"  
अनवर मियां ने टोका - "मिर्ज़ा साहब जाईये घर हो आईये"
मिर्ज़ा साहब दो शिकस्त के बाद हिसाब बराबर करने पे उतारू थे, अनसुना कर बोले  - 
"आप घोड़े की शह बचिए"    
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आधे घंटे बाद बड़ा बेटा बदहवास सा दौड़ता हुआ आया और ग़मगीन स्वर में बोला - 
"अम्मी का इंतकाल हो गया, अब्बू घर चलिए"
मिर्ज़ा साहब तीसरी बाजी भी हारने के बाद तिलमिलाए हुए थे ,,, 
बिसात पर जल्दी-जल्दी मोहरे सजाते हुए बोले - 
"मैं तुरंत पहुँच रहा हूँ ,,, तुम ऐसा करो तब तक मस्जिद से मौलवी साहब को बुला लो,,,, आकर दुआ पढ़ें"
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चौथी बाजी में मिर्ज़ा एक-एक चाल संभल-संभल के चल रहे थे, अनवर मियां के दो प्यादे मारने के बाद बहुत उत्साहित थे और अब वजीर को घेरने के लिए चाल सोचने में लगे थे ,,, तभी बड़ा बेटा फिर भागता हुआ आया -
"अब्बू ज़नाज़े की रुखसती का वक़्त आ गया ,,, जल्दी घर चलिए"
मिर्ज़ा साहब शतरंज की बिसात पर हाथी को किनारे खींचते हुए बोले - 
"अनवर मियां अपना वजीर बचाईये" ,,,, 
फिर बड़े बेटे से मुखातिब हुए - "ज़नाज़ा जाएगा तो इसी रास्ते से न .... तुम लोग ज़नाजा उठाओ, मैं यहीं से शामिल हो जाऊँगा"
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मिर्ज़ा साहब और अनवर मियां शतरंज की बिसात पर सिर झुकाए इस कदर दांव-पेंच में खोये रहे कि कब ज़नाज़ा सड़क से निकल गया, उन्हें खबर ही न हुयी ! 

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रविवार, अप्रैल 20, 2014

एक रहेन मिश्रीलाल : चुनावी चकल्लस

पहले की बात है ! लखीमपुर में एक ठो रहे मिश्रीलाल ! विधायकी के चुनाव के लिए दुई-चार चेले-चपाटों ने उकसा दिया तो मिश्रीलाल भी खड़े हो गए ! जीतना भला किसे था लेकिन ठसक बनी रहे, ये भी जरुरी था !

खैर, बैलेट बॉक्स खुलने का दिन भी आया,
पता चला मिश्रीलाल को टोटल 74 वोट मिले हैं !

अगले रोज जब रोज की तरह दो-चार चेले-चपाटों के साथ टहलने निकले तो जिधर जाएँ, वहीँ से आवाज़ आये - "दद्दा आपै का भोट दिए रहेन !" मिश्रीलाल यही बात सुनत-सुनत अघाय गए, माइंड फ्रेश करने के लिए सिगरेट पीने दूकान पे गए तो पनवाड़ी भी चहक उठा - "दद्दा हमहू आपै का भोट दिया रहा"

इतना सुनना था कि तपे हुए मिश्रीलाल बमक पड़े - "भूतनी के कउनो सिर्री-विर्री समझे हो का ? 80-82 भोट तो हमरे घरे-बिरादरी केरे हैं ,, ओहू पूरै न मिले ,, वोहू मा पनौती ,,, यहाँ सरऊ जिहका देखौ कहि रहा है - हमउ दियै,, हमउ दिये,, अतने भोट कहाँ घुसि गए ?"

मिश्रीलाल का बमकना आगे भी जारी रहा -
",,,, खडन्जा बिछवाएन खातिर रात-दिन किहेन हम, नहरिया से पानी काटै बदि के कुलाबा लगवायेन हम, कउनो काम हो तो दद्दा दद्दा ,,, अऊर जब चुनाव आवा तो आपन-आपन जाति-बिरादरी माँ भोट खोंस दिहिन ,,, आवौ अब कौनो काम खातिर बताएब हमहूँ ,,,,,"

दद्दा का मूड गरम देख चेले-चपाटे दायें-बाएं खिसक लिए !


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End
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सोमवार, फ़रवरी 10, 2014

एक दिलचस्प और सच्चा किस्सा


मूक सिनेमा के दौर का यह एकदम सच्चा वाकया है ! मशहूर निर्देशक होमी मास्टर और उनकी फ़िल्म के हीरो के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया ! झगड़ा इतना ज्यादा बढ़ गया कि बीच-बचाव की नौबत आ गयी ! क्रोध में हीरो ने होमी मास्टर के साथ काम न करने का एलान कर दिया और शूटिंग छोड़कर चल दिया ! 

सेट पर सन्नाटा छा गया कि अब क्या होगा ? होमी मास्टर भी हार मानने को तैयार नहीं थे ! थोड़ी देर सोचते रहे, उसके बाद फरमाया कि एक कुत्ते को शूटिंग के लिए लाया जाए ! उन्होंने बैठे-बैठे फ़िल्म की स्टोरी स्क्रिप्ट में फेर-बदल कर डाला - अब एक नया दृश्य जोड़ा गया, जिसमें एक जादूगर अपने जादू की ताकत से हीरो को कुत्ता बना देता है ! 

कुत्ता लाया गया ! शूटिंग शुरू हुयी ! अब बेचारी हिरोइन के लिए हीरो की जगह कुत्ता था, जिसे वह प्रेमी की तरह गले लगाती और प्यार करती ! इधर शूटिंग चलती रही और चटखारेदार ख़बरें बनती रहीं और उधर बेचारा हीरो अपनी जगह कुत्ते को लिए जाने की खबर से इतना अधिक विचलित हो गया कि उसने सुलह-सफाई कर ली ! 

हीरो शूटिंग पर लौट आया ! होमी मास्टर ने एक नया दृश्य तैयार किया, जिसमें जादूगर कुत्ते को वापस उसके असली रूप में ले आता है और हिरोईन से उसका मिलन हो जाता है ! फ़िल्म की रिलीज पर इस कुत्ते वाले 'सीक्वेंस' को पब्लिक से जबर्दस्त तालियां और दाद मिली ! 

अब बताईये क्या कहा जाए ? 
हिंदुस्तान की पब्लिक का कोई जवाब नहीं  :-)

मुझे लगता रहता है कि होमी मास्टर आज भी ज़िंदा है ! वो फ़िल्म से टीवी में भले ही कई रूपों में आ गया हो, उसका नाम भले ही एकता कपूर या कुछ और हो गया हो ! मगर मुझे लगता है कि होमी मास्टर आज भी ज़िंदा है ! है कि नहीं जी ?
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The End 
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सोमवार, दिसंबर 02, 2013

तालिबानी गुडविल इन पाकिस्तान

एक तालिबानी पाकिस्तान में बैंक लूटने के लिए गया, 
वहाँ कैशियर के पास जाकर बोला - "मेरे बैग में AK 47 है, चुपचाप सारा कैश मेरे हवाले कर दो !"

कैशियर ने सहमकर जल्दी-जल्दी सारा रुपया तालिबानी को सौंप दिया !

तालिबानी लूट कर जब बैंक से बाहर निकला तो उसे अचानक ध्यान आया कि 

वो जो बैग लेकर बैंक गया था उसमें तो AK 47 थी ही नहीं ! 
AK 47 वाला बैग तो उसका साथी दो दिन पहले ही मांग के ले गया है !

बेचारा तालिबानी आत्मग्लानि में डूब गया और सोचने लगा कि 

जुमे के रोज उसने कैशियर से झूठ बोला … उफ्फ़ ~~~ अल्लाह उसे माफ़ नहीं करेगा !

बस फ़ौरन तालिबानी वापस बैंक पहुंचा और
बैंक मैनेजर के कमरे में घुस गया !
बैंक मैंनेजर ने सवाल किया - "हाँ सर कहिये, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ?"

तालिबानी - "बिरादर हमसे आज अनजाने में एक बहुत बड़ा मिस्टेक हो गया !"
बैंक मैनेजर - "कैसी मिस्टेक सर ?"

तालिबानी - "अभी थोड़ी देर पहले हम तुम्हारा बैंक लूटा .... हमने कैशियर को बोला कि हमारे बैग में AK 47 है, सारा रुपया हमारे हवाले करो, कैशियर ने वैसा ही किया ! अभी हम तुमसे झूठ नहीं बोलेगा … उस समय हमारे बैग में AK 47 नहीं था !"

मैनेजर - "नो प्राब्लम सर ! आप ऐसा करें कि एक-दो रोज में जब कभी आपको समय मिले यहाँ आकर AK 47 दिखा दीजियेगा .... हैव ए गुड डे सर !"

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End
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फेसबुक मित्रों द्वारा की गयीं कुछ प्रतिक्रियाएं
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    • आदेश शुक्ल - लाहोर बिना कुवैत 
    • Govind Singh Parmar - hahaahahahahahahahaha bahut umda
    • Prabhu Heda - बाउण्ड्री पार चौका लगा दिए गुरुदेव । अब हसी रोकने की कोई दवा दीजिये जल्दी से
    • Manoj Chhabra - very nice....
    • Rahul Kumar ·Thoko taali.....
    • Mukesh Tokas ·अच्छा है, बहुत मजा आया
    • Aditi Chauhan - bahut majedar
    • Basant D Jain - Hahahaha bahut zordar
    • Dilbag Virk - रोचक.... हमारे नेताओं से तो अच्छा निकला तालिबानी
    • Prakash Govind - Dilbag Virk ji ... Aapne ye baat to bahut sahi kahi ....
    • राजीव तनेजा - आपसी विश्वास..भरोसे और सद्भावना की पराकाष्ठा ..
    • मिथिलेश कुमार राय - सुनते हैँ कि कभी बेईमानी का काम भी पूरी ईमानदारी से किया जाता था पृथ्वी पर!
    • Madhu Kaushal - हा हा हा बेचारा तालिबानी ...
    • Brajesh Rana - मजबूर फिल्म में अमिताभ कहते हैं की चोरो के भी उसूल होते हैं. तो प्राण साहिब बोले की चोरो के ही उसूल होते हैं.
    • Prakash Govind - हमारे यहाँ तो डाकू भी बहुत उसूल वाले होते थे .... पहले से सूचना देकर बाकायदा पूजा-पाठ के उपरान्त डकैती कार्यक्रम संपन्न करते थे
    • Brajesh Rana - हर चीज़ के नियम क़ानून होते हैं.
    • Harivansh Sharma - हमारे एक मित्र,अक्सर कहा करते है,ईमानदारी अच्छी होती है,परन्तु बेवकूफी नही...
    • Vijay Gupta - very nice sir
    • Vijay Gupta -Congresiyon se to achha hi nikla wo talibani
    • ÁKshäy Yâdáv - nice onE..
    • Syed Khalid Mahfooz - hahahaha..
    • Sandeep Gupta - क्या ईमानदारी हे
    • Vijay Kumar Singh - सचमें आपने इस विचार के माध्यम से जो संदेश देने की कोशिश की है। इसके काफ़ी गहरे भाव हैं। आज की वर्तमान परिस्थिति में रेखांकित करती इसमें कुछ गहरे संदेश हैं।
    • Rakesh Sharma - wah kay baat h dono taraf se emandari .................... .Na jane konsa hadsa akhbar me aajaye , Na jane konsa shikka bajar me aajaye , Are chor uchkko ke sath bhi dosti kar lo yaro , Na jane kon kal sharkar me aajaye ...............
    • न जाने कौन सा हादसा अखबार में आ जाए
      न जाने कौन सा सिक्का बाजार में आ जाए
      अरे चोर-उचक्कों के साथ भी दोस्ती कर लो
      न जाने कौन कल सरकार में आ जाए !!!
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      -
      वाह... वाह... वाह .... बहुत खूब
    • Purnima Seth - kya baat hai ... kya goodwill hai
    • Raju Munjal - हाहाहा ये दिया........
    • Kantilal Jain - bahut achhe
    • विकास भारतीय - बहा तो सारे ही खुदा के नेक बन्दे निकले
    • Pawan Mishra - असली गुडविल तो मैनेजरवा ने दिखाई
    • Vivek Shrivastava - सुपर्ब हा हा हा हा हा हा
    • Satyawan Yadav - Nice story ]
    • Honey Singh Nice..
    • Goldy Sadh - hahaha
    • Sagar Gaud - Bahut badiya massage diya h aapne is post k zariye
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सोमवार, अगस्त 12, 2013

बंगलादेशी डाकू और गजोधर भैया


एक बार बांग्लादेश का शातिर डाकू महमूद-उर-रहमान अपने देश की पुलिस से बचता-बचाता हुए बॉर्डर तक आया और उसके बाद आराम से टहलता हुआ भारत की सीमा में घुस गया ! यहाँ भी रोज कहीं न कहीं लूट-पाट, राहजनी, चोरी ! जनता में आक्रोश फैल गया …जगह-जगह कैंडल मार्च होने लगे … फेसबुक में आन्दोलन छिड़ गया तब कहीं जाकर सरकार और पुलिस सक्रीय हुई ! 

आखिरकार एक दिन एक दरोगा लल्लू सिंह ने डाकू महमूद-उर-रहमान को धर दबोचा … लेकिन समस्या ये हुयी कि डाकू को हिंदी नहीं आती थी और दरोगा लल्लू सिंह को बंगलादेशी नहीं आती थी ! दुभाषिया खोजा जाने लगा …. गजोधर भैय्या उधर से गुजर रहे थे … उनको मामला पता लगा तो बोले कि उन्हें बंगलादेशी भाषा आती है …. एक बार बांग्लादेश घूमने गए थे तो मतलब भर की सीख गए थे ! 

दरोगा लल्लू सिंह ने कहा - "इस डाकू से पूछताछ करनी है … क़ानून की मदद करो" 
गजोधर - "हुजूर क़ानून की मदद के लिए तो हम चौबीस घंटा तैयार रहते हैं" 
दरोगा लल्लू सिंह - "अच्छा … इससे पूछो कि इसका नाम क्या है ?" 

गजोधर ने डाकू से पूछा कि नाम क्या है ? 

डाकू : मेरा नाम सलाउद्दीन काजी है ! 

गजोधर ने दरोगा जी को बताया की ये नाम सलाउद्दीन काजी बता रहा है ! 

दरोगा जी ने आँखें तरेरीं - "इस से कह दो सीधे-सीधे नाम बता दे वरना डंडा-परेड करूँगा !" 

गजोधर ने डाकू को समझाया कि दरोगा जी क्या कह रहे हैं … 
तो डाकू ने घबराते हुए सब सच उगल दिया !  
गजोधर ने दरोगा जी को बताया कि ये अपना नाम महमूद-उर-रहमान बता रहा है ! और यह वही बांग्लादेश का डाकू है जो कई महीनों से डकैती और रहजनी की वारदातें कर रहा है ! 

दरोगा ने आगे पुछवाया कि लूट का माल सब कहाँ है ? 

गजोधर : दरोगा जी पूछ रहे हैं की लूट का सारा माल कहाँ है ? 
डाकू : मुझे नहीं मालुम 

गजोधर ने दरोगा जी को बताया कि ये कह रहा है इसे नहीं मालुम ! ये सुनकर दरोगा जी गुस्से में आगबबुला होकर बोले - "इस हरामी से कहो कि अभी पिछवाड़े पे डेढ़ सौ लाठी मारेंगे और पेड़ से उलटा लटका के गोली मार देंगे … जो पूछें वो एकदम सही-सही बताये !" 

गजोधर : "देख भाई दरोगा जी कह रहे हैं कि अगर तूने नहीं बताया तो तुझे डेढ़ सौ लाठी मारेंगे और पेड़ से उलटा लटका के गोली मार देंगे !" 
डाकू : "दरोगा जी से कह दो गोली न मारें । मेरी जान बख्श दें … मैंने लूट का सारा माल मैंने पुराने किले के पीछे जो कुआं है उसमें एक बोरे में बंद करके डाल दिया है … अब मुझे छोड़ दें … मैं वापस बांग्लादेश चला जाऊँगा !" 

दरोगा : हाँ गजोधर … इसने लूट के माल के बारे में कुछ बका ? 
गजोधर : "हुजूर ये कह रहा है कि इस दरोगा साले की ऐसी की तैसी … इसके जैसे भडुए बहुत देखे हैं … अगर एक ही बाप की औलाद है तो गोली मार के दिखाए …!" 

गजोधर ने विनती की : "हुजूर मुझे बच्चे को स्कूल से लाना है .... मुझे देर हो रही है .... मुझे जाने दीजिये ! मैं चलता हूँ … जय हिन्द हुजूर" 
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The End
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लेखक : प्रकाश गोविन्द 
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फेसबुक लिंक :

फेसबुक मित्रों द्वारा की गयीं कुछ प्रतिक्रियाएं
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  • hahahaahahhahaha
  • Superb
  • :-)   :-)  :-)
  • जय हिन्द हुजूर
  • sabke sab 'gajodhar' bhaiya hi hain....ka karegi police bechari  :-)
  • बढ़िया है भैया . लगे रहो देश सेवा मैं
  • Nirbhay Singh Solunkey 
    Very nice.
  • Ha Ha Ha bahut badhiya.
  • Ravikant Upadhyay 
    हा हा हा हा....
  • इस बार 15 अगस्त को पुराने किले पे ही चलते हैं।
  • Gajodhar bhaiyya bahut khurafati hain aur Lallu singh bechare ...  :-)
  • ha..ha..ha..ha  :)  :)
  • Gajjjjjab .... Maja aa gaya. Gajodhar bahut kaam ka aadmi hai
  • गंगा अगर सामने से बह रही है तो हाथ धोने में भला हर्ज़ ही क्या है?..... बहुत बढ़िया...
  • Story complete hua nehi. Matalab Gajodhar ne jhut bolkar sab faida leliya.
  • Prakash Govind Sambhunath Tiadi जी … कहानी तो ऐसे ही कम्प्लीट होती है ! 
    गजोधर ने झूठ बोलकर फायदा ले लिया … और रफू चक्कर ! अब आप क्या चाहते हैं ? 
    गजोधर का इस तरह आत्मसुधार हो कि वो सारा धन वापस लाकर पुलिस को दे दे  :-)
  • Shekhar Raijada 
    aisa end to socha hi nahi tha  :) .... :)  waah re chalaki
  • :-)  :-)  :-)
  • हाहाहा
    वाह गजोधर भईया भी कमाल कर गए ......
    आये थे मदद करने को .बकरा हलाल कर गए  पूनम
  • gazab..ekdm mast..jai ho gajodhar bhaiya  :-)
  • "हुजूर मुझे बच्चे को स्कूल से लाना है .... मुझे देर हो रही है .... मुझे जाने दीजिये ! 
    मैं चलता हूँ … जय हिन्द हुजूर" ha ha jai hind   :-)
  • Wah gajodhar bhaiya kya baat hai
  • Hahahahahaha waah... :-)  :-)  :-)  :-) 
  • हा...हा.. गज्जू गच्ची दे गया ..
  • तलाश मुझे भी बंगलादेशी सिखाने वाले की ......
  • Sushil Verma · 
    Achha lekh hai
  • हा...हा...हा!... गजब
  • kuch seekhne ka laabh huaa gajodar bhaiya ko....  :-)
  • Drss Yadav · 
    बेचारा गजोधर
  • Satpal Kaswan · 
    100 मे से 99 बेईमान
    फिर भी मेरा देश महान
  • waaah ... excellent ! Sharing   :-)
  • सच्चाई को काफ़ी बेहतरीन तरीका से कहानी का रुप देकर अपने शब्दो को पिरोया है। 
    आज इसी प्रकार की चीजे हो रही है। गजोधर जैसे लोग अपने मतलब की चीज निकल 
    जाने पर हडप नीति को ही अमल में लाते हैं। सभी के मन में यह भाव घर करते जा रही है कि 
    बीना श्रम किये पैसा अर्जित किया जाए।
  • Satish Raghuvanshi
    गजोधर भईया नामक पात़ राजु लाला अपने लिये पेटेंट करा रखे हैं जो गोरखपुर के रहने वाले हैं मुंबई में रहते है उन्हे हरविषय के जानकारी का दावा है़  
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