गुरुवार, जून 09, 2016

पिता-पुत्र कथा



माँ के निधन के पश्चात इकलौते बेटे ने पत्नी के कहने में आ कर अपने पिता को वृद्धाश्रम में भेजने का निर्णय ले लिया। पिता की समस्त भौतिक वस्तुएँ समेट वो एक ईसाई पादरी द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में पिता को ले आया। 
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काउंटर पर बैठी क्लर्क ने बहुत से विकल्प दिए टेलीविज़न, एसी, शाकाहारी, मांसाहारी इत्यादि । पिता ने सादे एक वक़्त के शाकाहारी भोजन को छोड़ सब के लिए मना कर दिया। 
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पुत्र पिता का सामान कार से निकालने बाहर गया । तभी पत्नी ने फ़ोन किया ये पता लगाने के लिए कि सब कुछ ठीक से निपटा या नहीं । और इस बात के लिए पति को ज़ोर देकर आगाह किया की उसके पिता को अब त्योहारों पर भी घर आने की ज़रुरत नहीं। 
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क्रिश्चियन पादरी बाहर आये पिता को देख उनकी और बढ़ गये और उनके दोनों कन्धों पर हाथ रख कर बात करने लगे। 
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इस दौरान पिता हिम्मत से मुस्कुराते रहे। 
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बेटे को बड़ा आश्चर्य हुआ, उसने तुरंत निकट पहुंचकर पादरी से पूछा कि क्या वो पूर्व परिचित हैं ? जो इतनी बेतकल्लुफी से बात कर रहे हैं ? 
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पादरी ने गीली आँखें पोछते हुए बेटे को देखा और कहा - हाँ ! बहुत ही अच्छे से। आपके पिता 30 साल पहले यहां आये थे और अपने साथ एक अनाथ बच्चे को ले गए थे, गोद लेने के लिए !!! बेटा अवाक था....!!! 

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