रविवार, अप्रैल 20, 2014

एक रहेन मिश्रीलाल : चुनावी चकल्लस

पहले की बात है ! लखीमपुर में एक ठो रहे मिश्रीलाल ! विधायकी के चुनाव के लिए दुई-चार चेले-चपाटों ने उकसा दिया तो मिश्रीलाल भी खड़े हो गए ! जीतना भला किसे था लेकिन ठसक बनी रहे, ये भी जरुरी था !

खैर, बैलेट बॉक्स खुलने का दिन भी आया,
पता चला मिश्रीलाल को टोटल 74 वोट मिले हैं !

अगले रोज जब रोज की तरह दो-चार चेले-चपाटों के साथ टहलने निकले तो जिधर जाएँ, वहीँ से आवाज़ आये - "दद्दा आपै का भोट दिए रहेन !" मिश्रीलाल यही बात सुनत-सुनत अघाय गए, माइंड फ्रेश करने के लिए सिगरेट पीने दूकान पे गए तो पनवाड़ी भी चहक उठा - "दद्दा हमहू आपै का भोट दिया रहा"

इतना सुनना था कि तपे हुए मिश्रीलाल बमक पड़े - "भूतनी के कउनो सिर्री-विर्री समझे हो का ? 80-82 भोट तो हमरे घरे-बिरादरी केरे हैं ,, ओहू पूरै न मिले ,, वोहू मा पनौती ,,, यहाँ सरऊ जिहका देखौ कहि रहा है - हमउ दियै,, हमउ दिये,, अतने भोट कहाँ घुसि गए ?"

मिश्रीलाल का बमकना आगे भी जारी रहा -
",,,, खडन्जा बिछवाएन खातिर रात-दिन किहेन हम, नहरिया से पानी काटै बदि के कुलाबा लगवायेन हम, कउनो काम हो तो दद्दा दद्दा ,,, अऊर जब चुनाव आवा तो आपन-आपन जाति-बिरादरी माँ भोट खोंस दिहिन ,,, आवौ अब कौनो काम खातिर बताएब हमहूँ ,,,,,"

दद्दा का मूड गरम देख चेले-चपाटे दायें-बाएं खिसक लिए !


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End
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