मंगलवार, सितंबर 08, 2015

गाँव का क़ानून ... !! :-)

एक बार संता ने एक कबूतर का शिकार किया, वह कबूतर जाकर एक खेत में गिरा ! 
जब संता उस खेत में कबूतर को उठाने पहुंचा तभी एक किसान वहां आया और संता को पूछने लगा कि 
वह उसकी प्रोपर्टी में क्या कर रहा है ? 

संता ने कबूतर को दिखाते हुए कहा – 
“मैंने इस कबूतर को मारा और ये मर कर यहाँ गिर गया मैं इसे लेने आया हूँ!” 

किसान – “ये कबूतर मेरा है क्योंकि ये मेरे खेत में पड़ा है!” 

संता – “क्या तुम जानते हो तुम किससे बात कर रहे हो?” 

किसान – “नहीं मैं नहीं जानता और मुझे इससे भी कुछ नहीं लेना है कि तुम कौन हो!” 

संता – “मैं हाईकोर्ट का वकील हूँ, अगर तुमने मुझे इस कबूतर को ले जाने से रोका तो मैं तुम पर ऐसा मुकदमा चलाऊंगा कि तुम्हें तुम्हारी जमीन जायदाद से बेदखल कर दूंगा और रास्ते का भिखारी बना दूंगा!” 

किसान ने कहा – “हम किसी से नहीं डरते …..........समझे ?
हमारे गाँव में तो बस एक ही कानून चलता है… लात मारने वाला!” 

संता – “ये कौन सा क़ानून है … मैंने तो कभी इसके बारे में नहीं सुना !” 

किसान ने कहा -“मैं तुम्हें तीन लातें मारता हूँ अगर तुम वापिस उठकर तीन लातें मुझे मार पाओगे तो 
तुम इस कबूतर को ले जा सकते हो !” 

संता ने सोचा ये ठीक है ये मरियल सा आदमी है, इसकी लातों से मुझे क्या फर्क पड़ेगा ! 
ये सोचकर उसने कहा – “ठीक है मारो!” 

किसान ने बड़ी बेरहमी से संता को पहली लात टांगों के बीच में मारी, जिससे संता मुहं के बल झुक गया! 
किसान ने दूसरी लात संता के मुहं पर मारी, जिसके पड़ते ही वह जमीन पर गिर गया! तीसरी लात किसान ने संता की पसलियों पर मारी. 

बहुत देर बाद संता उठा और जब लात मारने के लायक हुआ तो किसान से बोला – “अब मेरी बारी है!” 

किसान – “चलो छोड़ो यार ... झगडे में क्या रखा है ...  ये कबूतर तुम ही रखो !” 

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