सोमवार, जुलाई 29, 2013

यह फ़िल्म की कहानी नहीं हकीकत है



पिता डकैत, लेकिन बेटा पुलिस या सेना में, पिता कानून के खिलाफ काम करता है, लेकिन बेटा कानून की रक्षा की कसम खाता है ऐसे वाकये आपने अब तक फिल्मों में ही देखे होंगे। लेकिन ये कहानी हकीकत बनती दिखाई दी


मेरठ में एक ऐसे शख्स ने दरोगा की भर्ती परीक्षा पास की है, जिसके पिता को कुख्यात डकैत के रुप में जाना जाता था । 80 के दशक में चंबल के बीहड़ों में आतंक मचाने वाले डकैत छविराम सिंह को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। और इतने सालों बाद छवि राम सिंह के बेटे अजयपाल सिंह ने दरोगा के रूप में देशसेवा की कसम खाई। खास बात ये है कि अजय को शपथ दिलाने वाले अफसर उसी एनकाउंटर टीम का हिस्सा थे, जिसने डकैत छवि राम सिंह को ढेर किया था।


अजयपाल को ये सारी हकीकत मालूम है, उसका कहना है कि मुझे अपने पिता पर गर्व है, मेरे पिता ने कभी महिलाओं से या बच्चों से लूटपाट नहीं की न उन्हें तंग किया। महिलाओं से गहने भी नहीं उतरवाते थे, मैं टीचर या वकील बनना चाहता था, लेकिन मैनपुरी के एक एसएसपी ने मेरी लगन देखकर मुझे पुलिस में भर्ती कराया।

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The End 

फेसबुक मित्रों द्वारा की गयीं कुछ प्रतिक्रियाएं
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Praveen Chauhan : 
अनुकरणीय … युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए. 
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Prathvipal Singh :
परिस्थितियोँ को दिल से समझने वाले हमेशा जीत हासिल करते है ..परिस्थितियाँ इंसान को कब कहाँ कैसे मुकाम दे ...  
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Ajeet Yadav :
बस इसी तरह के बदलाव से भारत आधुनिक बन पायेगा, जहां किसी भी व्यक्ति को उसकी खुद की क्षमताओं एवं कर्मों से आंका जाएगा ना की उसके पूर्वजों के कर्मों से.  
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शिशिर जैन :  
बहुत अच्छे बदलाव के संकेत हैं ... 
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Firdaus Khan :
बदलाव की ये बयार हमेशा यूं ही बहती रहनी चाहिए...   
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Goldy Sadh : 
bahut sukhad anubhuti hui jaankar ki desh me aise yuwa aaj bhi hain.... 
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Arshad Iqbal :
Kaash ! Hamare Desh men Har Yuwa ki Soch aur Samajh is Tarah ki Ho jaaye...  
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कलीम अव्वल :
ये ख़बर पढी थी / फ़िल्मी कहानी जैसी ही है / लेकिन / एक सुखद सच्चाई / अजय पाल की हिम्मत की तारीफ़ की जानी चाहिए /कि/ एक पंकिल अतीत के साथ जीते हुए भी यहां तक पहुचे / बहुत-बहुत बधाई / और खूब आगे बढ़ें .  
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Jyoti Prakash Verma :  
bahut accha hai bhayi.....jaruri nahi ki apradhi ka beta apradhi hi bane.....inko to samman jarur milna chahiye jinhone apne pariwarik mahaul se oopar uthkar samaaj ke liye kuchh karne ka jajba man me rakh kar force me shaamil hote hain..... 
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Faqir Jay :
भारतीय समाज में ये बदलाव बड़ा खुशनुमा है   
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Ashutosh Pandey : 
गोविन्द जी यह समाचार मैंने भी पढ़ा अखबार में ...अजयपाल को बधाई ...उसके पिता छविराम सतयुग के डकैत थे जिन पर शायद आज की कलियुगी पुलिस की छवि तो दूर छाया भी नहीं रही हो सकती है ....ऊपरवाला चाहे सबको सतयुगी डकैत भले ही बना दे परन्तु कलियुगी पुलिस से जरूर बचाए जिसकी साख से पूरा देश वाकिफ है कहीं-कहीं तो साक्षात् यमराज ...... थोड़ा लिखा बहुत समझिएगा ... जय जय सतयुगी की 
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पवन कुमार जैन :
बहुत उम्दा शुरुआत ज़िंदगी की .... 1980 में छविराम से एक बार मेरी मुलाकात गुरसहायगंज में एक शादी के दौरान हुई थी .. जब वह लड़की को आशीर्वाद देने आए थे ...  
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रमा शंकर शुक्ल :
Waah Ajay Pal, tujhe salaam.  
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Krishna Pandey :  
Hats off... Yeah Badalate Jeevan Ki Tasveer hai Aur Ek Suruaat bhi....  
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Wasim Akram Tyagi :
सलाम इस मेरठी छोरे को ... 
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1 टिप्पणी:

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