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मृत्यु को जन्म देकरईश्वर अपराधी है
इतनी जोरों से जियें हम दोनों
कि इश्वर के अँधेरे को
क्षमा कर सकें !!!
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उस अपंग बच्चे को
गए हम फूल दे आये
दरवाजे पर रूककर, पलटकर देखा
मानो देहरी से निकल
अपने देवता को
उसी की किस्मत पर
छोड़ आये !!!
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---- प्रकाश गोविन्द
भावपूर्ण!
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएँ एक से बढ़कर एक हैं.
चित्र और क्षणिकाएँ एक दूसरे की पूरक लगीं.
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति.
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसम्पूर्ण सच को
उकेर दिया
आपने...
अपना रचना में
सादर
मार्मिक रचना|
जवाब देंहटाएंआह!!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन क्षणिकाएं....
कोमल और हृदयस्पर्शी.....
अनु
bhavpurn......prabhavi rachna.....sochne par majboor karti line
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