एक बार लोकसभा में पंडित नेहरु ने जनसंघ के ऊपर आलोचनात्मक टिप्पणी की थी तो अटल जी ने उसका ऐसा जवाब दिया की नेहरु जी न सिर्फ बात में छुपे प्रहार को समझ गए बल्कि भरी संसद में ठहाका मार के हंसने भी लगे !
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बात 1957 के दौर की है जब अटल जी बलरामपुर से कांग्रेस के हैदर हुसैन को हराकर पहली बार संसद पहुंचे थे. लोकसभा में किसी चर्चा के दौरान पंडित नेहरु जी ने अटल जी की पार्टी जनसंघ पर निशाना साधते हुए कहा की ये पार्टी सामाजिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार है.....!
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जब बोलने की बारी अटल जी की आई तो अटल जी ने कहा ''मुझे पता है नेहरु जी रोज़ सुबह शीर्षासन करते हैं ... खूब करें ... पर कम से कम मेरी पार्टी की तस्वीर तो उल्टी ना देखें.''
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इतना सुनना था कि पंडित नेहरु जी संसद में ही जोर-जोर से ठहाका मार कर हंसने लगे ! नेहरु जी समझ गए थे कि इन दो पंक्तियों के जवाब से अटल जी ने ना सिर्फ जनसंघ का पक्ष रखा बल्कि एक बेहद अलग हलके-फुल्के अंदाज़ में शब्दों का वो प्रहार किया है जो एक कुशल वक्ता भी घंटो के भाषण के बाद भी ना कर पाता.
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इस प्रसंग में एक सीख है कि जहां एक ओर आदमी को व्यंग्य विधा में जवाब देने की कला होनी चाहिए वहीँ दूसरी ओर नेहरु जैसी स्वीकार्यता और पर-प्रशंसा का भी गुण होना चाहिए...
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The End
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