सदाचारी और अवसरवादी दो बालक थे !
सदाचारी अपने नाम के अनुरूप आज्ञाकारी, परिश्रमी बालक ... तो वहीँ अवसरवादी आवारागर्दी करता ... जुआं खेलता ...गांजे की चिलम खींचता ... प्रधान जी का ख़ास चेला !
सदाचारी पढाई में हमेशा अव्वल और अवसरवादी पता नहीं कौन से जुगाड़ से गांधी डिवीजन में पास हो ही जाता !
कालेज में भी वही हाल ! सदाचारी मन लगा के पढाई करता .. गुरुओं का सम्मान करता ... उधर अवसरवादी अपने गुट के साथ तोड़-फोड़, धरना प्रदर्शन, नेतागिरी में व्यस्त रहता !
थोड़े अरसे बाद ही अवसरवादी कालेज छोड़ चुका था ... वैसे भी पकड़ा ही कब था ! एक विधायक जी के पीछे लगा रहता ...तमाम तरह की दलाली जैसे सांस्कृतिक कार्यों में व्यस्त रहता !
उधर सदाचारी की पढाई जैसे तैसे साल दर साल चलती रही !
दिन गुजरते गए ...सदाचारी का संघर्ष ज्यों का त्यों .... विवाह के पश्चात तो गुजर और भी मुश्किल ... बस जैसे-तैसे कट रही थी ! उधर अवसरवादी आये दिन दिल्ली में डेरा जमाये रहता ... भागदौड़ रंग लायी .. सियासत में गोट जमा ली .. विधायकी का टिकट हासिल कर लिया !
तीन साल बाद ...
मुलाकातियों का दरबार लगा हुआ था .. अवसरवादी ने वहां सदाचारी को देखा तो मुस्कुराया ... सदाचारी की बुरी स्थिति से अवगत होने के बाद अपने पी ए को इशारा किया - "इनके कागज़ ले लेना .. देखता हूँ कुछ!
तीन महीने बाद ....
सब सही हो गया ! सदाचारी को सरकारी ड्राईवर की पक्की नौकरी मिल गयी !
अब सदाचारी कार चलाता और अवसरवादी आराम से पीछे बैठा दिखाई देता है !
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The End
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लेखक : प्रकाश गोविन्द
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फेसबुक मित्रों द्वारा की गयीं कुछ प्रतिक्रियाएं
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Prakash Bhai .. aapki posts padhta rehta hun .. aur apna dil khush karta rehta hun hun.. hamare sub continent ki yahi haalat hai .. bahot dilchasp kahani hai
जवाब देंहटाएंसफीर भाई !
हटाएंपोस्ट सराहने के लिए
आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!
aapki is chhoti kahani maen vyang bhi hai aur asliyat ka aayina bhi.
जवाब देंहटाएंaajkal sadachari jaise log pichhe rah jate hain aur avsarvadi jaise awara chaaloo log unchi unchi jagah pahunch jate hain
very good post
अवसरवादियों का ज़माना है..बहुत अच्छी कहानी है.
जवाब देंहटाएंसामायिक प्रस्तुति.
ek purani film thi KATHA, usmen farukh shekh, nasruddin shah aur deepti naval the.
जवाब देंहटाएंusmen aisa hi kuch dikhaya gaya tha
chalak log har cheej me aage nikal jate hain
@ Anandakrishnan Sethuraman :
जवाब देंहटाएंAugust 20,2013 at 11:23 PM GMT+05:30
थोड़े में कहें तो देश में सदाचारी दुखी हैं और अवसरवादी और दुराचारी शासन का भगडोर लिये मौज़-मस्ती. यह तो श्री राम के जमाने से हो रहा हैं;सत्यवादी हरिश्चंद्रा को श्मशान के काम; पत्नी को बेचना पड़ा;यों ही पौराणिक कहानी सुनकर भारत के राजनीतिज्ञ जो सत्ता हासिल करते हैं ,भ्रष्टाचार और काले धन के पक्षवादी हो जाते हैं; धर्म के पक्ष पांडव कष्ट सहे; कृष्ण के च्छल से जीते. अब दोषी कौन?
@ Mohd. sikka (Doha - Sikar)
जवाब देंहटाएंAugust 20,2013 at 04:17 PM GMT+05:30
आज के जमाने की सच्चाई !