बहुत पहले की बात है ! एक फ़कीर भ्रमण करते-करते किसी नगर में पहुंचा ! वहां मीठे पानी का एक कुंआ था, जिससे सम्पूर्ण नगरवासियों का काम चल जाता था ! फ़कीर ने कुंए का पानी पिया और घोषणा कर दी कि अगली पूर्णमासी को इस कुंए का पानी दूषित हो जाएगा ... जो भी इस पानी को पिएगा वो पागल हो जाएगा !
फ़कीर की यह बात चारों तरफ चर्चा का विषय बन गई .... हर तरफ शोर ! सयानों ने कहा कि ये फ़कीर खुद पागल है ... इसकी बात पर क्या ध्यान देना ! जैसा चल रहा है चलने दो ! यह मुद्दा राजा के कानों तक पहुंचा तो उसने तत्काल महामंत्री को बुलाया ! आपस में विचार-विमर्श किया .... महामंत्री ने समझा दिया कि मामला साधारण है ! चिंता करना फिजूल है !
राजा आश्वस्त नहीं हुआ ... उसने विवेक का स्तेमाल करते हुए अपने लिए बड़े-बड़े कुंड में मीठा स्वच्छ पानी संचित करवा लिया !
इधर कुछ ही समय बाद पूर्णमासी लगते ही कुंए का पानी सचमुच दूषित हो गया ! नगरवासी पानी पी-पीकर पागल हो गए ! राजा ने यह सब देखा तो मन में संतुष्टि हुयी कि अच्छा हुआ जो खुद के लिए पानी संचित करवा लिया ! संचित पानी कई वर्षों के लिए पर्याप्त था !
किन्तु कुछ ही दिनों के बाद राजा के लिए राज-काज चलाना मुश्किल हो गया ! वह जान गया कि इन पागलों पर शासन करना नामुमकिन है ! उसने तत्काल एक निर्णय लिया ....... उसने जो भी पानी स्वयं के लिए संचित करवाया था .. वो सारा पानी फिकवा दिया ! अब वो भी कुंए का दूषित पानी पिएगा, क्योंकि .............
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The End
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लेखक : प्रकाश गोविन्द
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YE KYA BAAT HUI WAAH
जवाब देंहटाएंpaagalon ko ek paagal hi sambhaal sakta hai
जवाब देंहटाएंha,, ha,, ha,, ha
bahut teekha vyang
maja aa gaya
बहुत खूब! :))
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