शनिवार, अगस्त 09, 2014

भाई-चारा संवाद

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भूमिका :
ये एक आँखों देखा, कानों सुना संवाद है ... मैं कैसरबाग में एक मामूली से होटल में चाय पीने रुका था तो आगे की टेबल पर दो लोग बातें कर रहे थे ! उनकी आवाज साफ़ सुनाई दे रही थी, उधारी का मामला था ... ख़ास बात ये थी कि लेनदार रिरिया रहा था और देनदार गरज रहा था !  आप भी जरा भाई-चारा संवाद सुनिए -
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-- भाई जी बहुत जरुरत थी रुपयों की
-- अबे तो ले लेना ,,, रुपये कहीं भागे जा रहे हैं

-- भाई जी आपने दस दिन के लिए रुपये लिए थे, छह महीने हो गए
-- तुम तो साले को बहुत चिरइन्धे आदमी हो, पैसा क्या लिया ,, तुमने तो ## में चरस बो दिया ,, हद्द है 

-- नहीं भाई जी ऐसी बात नहीं है, घर की छत पर एक कमरा बनवा रहे हैं, इसलिए बहुत सख्त जरुरत थी रुपयों की
-- अबे तो ठीक है न, परसों पेमेंट आने वाला है, ले लेना, अब साले तुम मेरे दिमाग का दही न करो .. चाय-समोसा मंगवाओ 

(2 चाय, 2 प्लेट समोसे का आर्डर देने के बाद)
-- भाई जी आप हमेशा ऐसे ही टाल देते हो, हर बार कल-परसों करते-करते छह महीने निकल गए
-- अबे भों## के तुमसे तो साला रुपया लेना गुनाह हो गया, पहले मालुम होता कि तुम इतने बड़े घिस्सू हो तो किसी दुसरे से रुपया ले लेते 

-- भाई जी आपने तीस हजार दस दिन के लिए कहे थे, साथ में ब्याज देने को भी बोला था, मुझे ब्याज नहीं चाहिए, आप आधा-आधा करके ही दे दो
-- कउनो टटपुन्जिया समझे हो का बे ? भों## के ऐसे हजारों रुपये मूत देता हूँ ... मेरा खुद लाखों रुपया फंसा हुआ है

-- भाई जी आप मेरी मज़बूरी समझो, आप अभी 5-10 हजार ही दे दो
-- अबे आदमी हो कि पैजामा ... कहा न पेमेंट आने वाला है, ले लेना
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पता नहीं कब तक ये भाई-चारा संवाद चलता रहा !
मुझे देर हो रही थी ,,,,
मैंने चाय के पैसे दिए और लेनदार की ओर हमदर्दी भरी नजर डालकर निकल आया !
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The End 
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शुक्रवार, अगस्त 08, 2014

बोरिंग कथा ऑफ कम्बल


साल का अंत होने वाला था। बेइंतिहा सर्दी थी। इस सर्दी की वजह से एक आदमी नींद से उठकर दुकानों के बरामदे की सीढ़ियों पर बैठ गया। फिर वह चलने लगा, लेकिन इस तरह सर्दी और लगने लगी। वह दौड़ने लगा - पुराना नुस्खा था कि दौड़ने पर पसीना निकलता है। शहर के एक बड़े हिस्से में वह दौड़ता रहा। उसे पसीना आने लगा। सर्दी कम लगने लगी। लेकिन वह कब तक दौड़ता। वह थककर बैठ गया। धीरे-धीरे पसीने की वजह से सर्दी और तेज लगने लगी !
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उसने देखा कि एक आदमी कम्बल ओढ़कर सो रहा है ! उसने उसका कम्बल खींचा और उसे लेकर भागने लगा ! जिसका कम्बल लेकर वह भागा था, वह उसके पीछे भागने लगा ! बीच-बीच में वह उसे गालियाँ भी दे रहा था ! जो कबल लेकर भाग रहा था, उसके हाथ से कम्बल गिर गया और एक नाले में चला गया !
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अब दोनों एक दुसरे के सामने थे ! दोनों भिड गए और एक दुसरे को मारते रहे ! इस बीच एक तीसरा आदमी आ गया ! वह भी सर्दी की वजह से सो नहीं पा रहा था ! जब उसने देखा कि कम्बल नाले में गिरा है तो वह नाले में उतर गया ! इधर दोनों एक-दुसरे को ईंट-पत्थरों से मारते रहे, जिनमें एक पहले और दूसरा बाद में मर गया ! तीसरा गहरे नाले की कीचड में डूब गया !
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सुबह न तो पुलिस और न अखबार वाले कम्बल के साथ इन तीनों की मौत का सबंध जोड़ पाए ! अलबत्ता और कोई कपडा आस-पास न होने की वजह से पुलिस ने तीनों के शवों को फिलहाल तो उस कम्बल पर लिटाया, जो नाले के बगल में पुलिस वालों को मिल गया था !
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तीन दिन बाद एक कूड़ा बीनने वाला लड़का बहुत डरते-सहमते हुए थाने में यह पूछने आया कि जो कम्बल नाले के पास पुलिस वालों को मिला था, वह उसका था ! पुलिस ने उसको थाने में बैठा लिया और पूछ-ताछ शुरू हुयी कि वह उसे मिला कहाँ था ! पता ये लगा कि उसने वह कम्बल एक घर से चुराया था - किसी का कम्बल घर के सामने धुप में सूख रहा था, उसने उठा लिया और चलता बना ! पुलिस ने कूड़ा बीनने वाले लड़के को हवालात में बंद करके इतना मारा कि लड़का मर गया ! पुलिस ने अपनी जान बचाने के लिए रात में उस मरे हुए लड़के की लाश को फुटपाथ पर छोड़ दिया और उसे उसके कम्बल से ढक दिया
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एक आदमी जो सर्दी से ठिठुर रहा था, उसने मरे हुए लड़के के शव के ऊपर से कम्बल उठाया और आगे निकल गया, फिर वह भागने लगा यह सोचकर कि कोई उसका पीछा कर रहा है ! भागते हुए वह रेल की पटरियां पार कर रहा था कि वह रेलगाड़ी की चपेट में आ गया और मर गया ! एक लड़का जो वहां कूड़ा बीना करता था, उसने वह कम्बल उठा लिया और यह देखते हुए कि कोई उसे देख तो नहीं रहा है, वह पटरियां पार करके घर आ गया !
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माँ ने कम्बल देखकर बेटे से कहा - तुझे यह क्यों नहीं दिखा कि ये कम्बल उसके भाई का है, जो दो दिनों से लापता है ! माँ और बेटा अपने बेटे और भाई की तलाश में कम्बल लेकर निकल पड़े, यह सोचकर कि अगर वो मिल गया तो कम्बल ओढ़ाकर उसे घर ले आयेंगे ! मा-बेटे रात के बियाबान में खोजते रहे ....खोजते रहे ...
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इस बीच पता नहीं कम्बल कब कहाँ कंधे से खिसककर गिर गया .....
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The End
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स्वर्ग, हैवन या ज़न्नत का फैसला कैसे होगा ?

मैं एक बात को लेकर बहुत कन्फ्यूज हूँ
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मान लीजिये एक आदमी हिन्दू धर्म में पैदा हुआ ! जब 24-25 वर्ष का युवा हुआ तो क्रिस्चियन लड़की से प्यार कर बैठा, लेकिन लड़की ने शर्त रख दी कि पहले ईसाई धर्म अपनाओ तब शादी करुँगी ! लड़के ने धर्म परिवर्तन कर लिया ... बन गया क्रिस्चियन !
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छह-सात वर्ष बीते उसके बाद डायवोर्स हो गया !

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फिर एक लड़की पर दिल आया ,,, इस बार लड़की मुस्लिम थी ! मुस्लिम लड़की ने भी वही शर्त रख दी कि पहले इस्लाम अपनाओ ! लड़के ने एक बार
फिर धर्म परिवर्तन किया और बन गया मुसलमान !
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कुछ साल बाद उसकी मौत हो जाती है
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अब सवाल ये उठता है कि हिन्दू मान्यता के अनुसार तो मरने के बाद ऊपर भगवान् चित्रगुप्त जी कर्मों के हिसाब से पाप-पुण्य और स्वर्ग-नरक का फैसला करते हैं, लेकिन मरने वाले ने तो पहले ही हिन्दू धर्म से एकाउंट क्लोज कर लिया था .... ईसाई धर्म से भी एकाउंट क्लोज कर लिया था!
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तो भैया ऊपर फैसला कैसे होगा ?
क्या अल्लाह मियां मरने वाले की फाईल जीसस और चित्रगुप्त से मंगवाएंगे ?
या फिर ऐसा तो नहीं कि
मरने वाला पहले स्वर्ग , उसके बाद हैवन और आखिर में ज़न्नत जाएगा ?

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The End
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बुधवार, जुलाई 30, 2014

लतेहड़पंती


शतरंजी लतेहड़पंती पर एक किस्सा याद आया .. 
आप भी सुनिए -
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पुरानी बात है
शोर-शराबे से दूर ,, खंडहर हो चुकी एक इमारत के बरामदे में मिर्ज़ा साहब रोजाना अपने दोस्त अनवर मियां के साथ शतरंज की बिसात जमाए रहते ! आज मिर्ज़ा साहब बहुत ताव खाए हुए थे ,,, लगातार दो बाजियों में करारी शिकस्त खाने के बाद तीसरी बाजी बिछी हुयी थी !
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तभी मिर्ज़ा साहब का छोटा बेटा दौड़ता हुआ आया - 
"अब्बू घर चलिए अम्मी की तबियत खराब हो गयी है"
मिर्ज़ा साहब का दिमाग अपने ऊँट को बचाने में लगा हुआ था, बिसात पर नजरें गडाए हुए बोले - 
"जाकर जल्दी से हकीम साहब को बुला लाओ ... मैं आता हूँ"
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थोड़ी देर बाद मिर्ज़ा साहब का मंझला बेटा भागता-हांफता हुआ आया - 
"अब्बू हकीम जी ने जवाब दे दिया, कह रहे हैं अब कोई दवा असर नहीं कर रही"
मिर्ज़ा साहब अगली चाल सोचते हुए बोले - 
"हम्म ,,,, ऐसा करो तुम सब अम्मी के पास ही रहो, देखभाल करो ... मैं आ रहा हूँ"  
अनवर मियां ने टोका - "मिर्ज़ा साहब जाईये घर हो आईये"
मिर्ज़ा साहब दो शिकस्त के बाद हिसाब बराबर करने पे उतारू थे, अनसुना कर बोले  - 
"आप घोड़े की शह बचिए"    
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आधे घंटे बाद बड़ा बेटा बदहवास सा दौड़ता हुआ आया और ग़मगीन स्वर में बोला - 
"अम्मी का इंतकाल हो गया, अब्बू घर चलिए"
मिर्ज़ा साहब तीसरी बाजी भी हारने के बाद तिलमिलाए हुए थे ,,, 
बिसात पर जल्दी-जल्दी मोहरे सजाते हुए बोले - 
"मैं तुरंत पहुँच रहा हूँ ,,, तुम ऐसा करो तब तक मस्जिद से मौलवी साहब को बुला लो,,,, आकर दुआ पढ़ें"
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चौथी बाजी में मिर्ज़ा एक-एक चाल संभल-संभल के चल रहे थे, अनवर मियां के दो प्यादे मारने के बाद बहुत उत्साहित थे और अब वजीर को घेरने के लिए चाल सोचने में लगे थे ,,, तभी बड़ा बेटा फिर भागता हुआ आया -
"अब्बू ज़नाज़े की रुखसती का वक़्त आ गया ,,, जल्दी घर चलिए"
मिर्ज़ा साहब शतरंज की बिसात पर हाथी को किनारे खींचते हुए बोले - 
"अनवर मियां अपना वजीर बचाईये" ,,,, 
फिर बड़े बेटे से मुखातिब हुए - "ज़नाज़ा जाएगा तो इसी रास्ते से न .... तुम लोग ज़नाजा उठाओ, मैं यहीं से शामिल हो जाऊँगा"
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मिर्ज़ा साहब और अनवर मियां शतरंज की बिसात पर सिर झुकाए इस कदर दांव-पेंच में खोये रहे कि कब ज़नाज़ा सड़क से निकल गया, उन्हें खबर ही न हुयी ! 

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बुधवार, जुलाई 02, 2014

जिन्होंने जन्म दिया

75 साल की उस बुढ़िया माँ का वजन लगभग 40 किलो होगा !
आज जब तबियत बिगड़ने पर वो डॉक्टर को दिखाने गयी ! 


डॉक्टर ने कहा ' माताजी आप हेल्थ का ख्याल रखिये ! आप का वजन जरूरत से ज्यादा कम है !! आप खाने में जूस, सलाद, दूध, फल, घी, हेल्थी फ़ूड लिजियें ! नहीं तो आपकी सेहत दिनों दिन गिरती जायेगी और हालत नाजुक हो जायेंगी ! '

उसने भारी मन से डॉक्टर की बात को सुना और बाहर निकल कर सोचने लगी, इतनी महंगाई में ये सब कहाँ से आएगा..? और पिछले पचास सालों में, फ्रूट, घी , मेवा घर में लाया कौन है..?

बहुत ही मामूली पेंसन से जो थोडा बहुत पैसा मिलता है उससे घर के जरुरी सामान तो पति ले आतें है, लेकिन फल, जूस, हरी सब्जी, ये सब पति ने कभी ला कर नहीं दिया, ....और खुद भी कभी ये सब खरीदने की हिम्मत नहीं कर सकी....क्यूंकि जब भी मन करता कुछ खाने का, खाली पर्स हमेशा मुंह चिढाने लगता....

नागपुर (विदर्भ) जैसे शहर में ... मामूली सी नौकरी में और जिंदगी की गहमागहमी में सारी जमा पूंजी, पति का PF, घर की सारी अमानत, संपदा, गहने जेवर सब एक बेटे और दो बेटियों की परवरिश, पढाई लिखाई शादी में में सब कुछ खत्म हो गया...

दूर दिल्ली में रह रहा एक बहुत बड़ी कंपनी में मैनेजर और मोटी तनख्वाह उठा रहा बेटा भी तो खर्चे के नाम पर सिर्फ पांच सौ रुपये देता है...वो भी महीने के..... बेटियों से अपने दुःख माँ ने सदा छुपाये है...उन्हें कभी अपने गमो में शामिल नहीं किया...आखिर ससुराल वाले क्या सोचेंगे.....???

अब बेटे के भेजे इन पांच सौं रुपये में बूढ़े माँ बाप तन ढके या मन की करें ?????

उसने सोचा चलो एक बार बेटे को डॉक्टर की रिपोर्ट बता दी जाए.. उसने बेटे को फ़ोन किया और कहा - बेटा डॉक्टर ने बताया है की विटामिन, खून की की कमी, कमजोरी से से चक्कर आये थे .... इसी लिए खाने में सलाद, जूस, फ्रूट, दूध, फल , घी , मेवा लेना शुरू करो !!

बेटा - "माँ आप को जो खाना है खाओ , डॉक्टर की बात ना मानों.... !!"

माँ ने कहा – बेटा, थोड़े पैसे अगर भेज देता तो ठीक रहता..... !!

बेटा - " माँ इस माह मेरा बहुत खर्चा हो रहा है, कल ही तेरी पोती को मैंने फिटनेस जिम जोईन कराया है, तुझे तो पता ही है, वो कितनी मोटी हो रही है, इसी लिए जिम ज्वॉइन कराया है... ...उसके महीने के सात हजार रुपये लगेंगे...जिसमे उसका वजन चार किलो हर माह कम कराया जाएगा..... और कम से कम पांच माह तो उसे भेजना ही होगा.......पैंतीस हजार का ये खर्चा बैठे बिठाये आ गया....अब जरुरी भी तो है ये खर्चा...!! आखिर दो तीन साल में इसकी शादी करनी है और आज कल मोटी लड़कियां, पसंद कोई करता नहीं.....!! "

माँ ने कहा - " हाँ बेटा ये तो जरुरी था.....कोई बात नहीं वैसे भी डॉक्टर लोग तो ऐसे ही कुछ भी कहतें रहते है.....चक्कर तो गर्मी की वजह से आ गयें होंगे, वरना इतने सालों में तो कभी ऐसा नहीं हुआ ..... खाना तो हमेशा से यही खा रही हूँ मैं...!!!"

बेटा - "हाँ माँ.....अच्छा माँ अभी मैं फोन रखता हूँ ....बेटी के लिए डाइट चार्ट ले जाना है और कुछ जूस, फ्रूट और डायट फ़ूड भी ....आप अपना ख्याल रखना !!"

फोन कट गया....माँ ने एक ग्लास पानी पिया...और साडी पर फॉल लगाने मे लग गयी .... साड़ी में फॉल लगाने के माँ को पन्द्रह रुपये मिलेंगे....इन रुपयों से माँ आज गणेश पूजा के लिए बाजार से लड्डू खरीदेंगी....आज गणेश चतुर्थी जो है !!
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