शनिवार, सितंबर 05, 2015

प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद


एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया। 

खाने के दौरान वृद्ध और कमजोर पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया। रेस्टॉरेंट में बैठे दुसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था। 

खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गया। उसके कपड़े साफ़ किये, उसका चेहरा साफ़ किया, उसके बालों में कंघी की, उसे चश्मा पहनाया और फिर बाहर लाया। सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे। 

बेटे ने बिल पे किया और वृद्ध के साथ बाहर जाने लगा। तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा ---
"क्या तुम्हे नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ??" 


बेटे ने जवाब दिया--- "नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर नहीं जा रहा।" 

वृद्ध ने कहा--- 
"बेटे, तुम यहाँ छोड़ कर जा रहे हो, 
प्रत्येक पुत्र के लिए एक सबक और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद" 
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चोर और ख्वाब की ताबीर


रात में एक चोर घर में घुसता है। 
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कमरे का दरवाजा खोला तो मुसहरी पर एक बूढ़ी खूसट औरत सो रही थी। 
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चोर की खटपट से उसकी आंख खुल गई। चोर ने घबरा कर देखा तो वह लेटे लेटे बोली - 

''बेटा, तुम देखने से किसी अच्छे घर के लगते हो, लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस रास्ते पर लग गए हो। चलो कोई बात नहीं।अलमारी के तीसरे बक्से में एक तिजोरी है। इसमें का सारा माल तुम चुपचाप ले जाना।" 
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"अच्छा .... जरा सुनो बेटा ... पहले मेरे पास आकर बैठो, मैंने अभी-अभी एक ख्वाब देखा है । वह सुनकर जरा मुझे इसकी ताबीर तो बता दो।" 
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चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा मुतास्सिर हुआ और चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया। बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरु किया - 

''बेटा मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गइ हूँ। ऐसे में एक चील मेरे पास आई और उसने 3 बार जोर-जोर से बोला - माजिद। । माजिद। । माजिद !!! बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आंख खुल गई। जरा बताओ तो इसकी क्या ताबीर हुई?'' 
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चोर सोच में पड़ गया। इतने में बराबर वाले कमरे से बुढ़िया का नोजवान बेटा माजिद अपना नाम ज़ोर-ज़ोर से सुनकर उठ गया और अंदर आकर चोर की जमकर ठुकाई लगाई। 
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बुढ़िया बोली - ''बस करो अब यह अपने किए की सजा भुगत चुका।" 
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''चोर बोला - नहीं नहीं .. मेरी और ठुकाई करो हरामखोरों ताकि मुझे आगे याद रहे कि मैं चोर हूँ सपनों की ताबीर बताने वाला नहीं।'' 
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:-) :-) :-) 
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अम्बानी की मेहमान नवाज़ी :-)

मुकेश अम्बानी के एक फैमिली फ्रेंड ने कहा :- 
"इसीलिए मैं मुकेश अम्बानी के घर नहीं जाता" 

एक बार मैं एंटीलिया गया,,,, नीता भाभी बोलीं--- 
"क्या लेंगे भाईसाहब, फ्रूट जूस...सोडा...चाय...कॉफी... हॉट चॉकलेट...इटैलियन चाय या फ्रोज़न कॉफी ?" 
उत्तर--- "चाय ले लूँगा, भाभी जी" 

प्रश्न--- "सीलोन टी...इन्डियन टी...हर्बल टी...बुश टी...हनी बुश टी...स्पेशल चाइना टी...कोरियन टी...
आइज्ड टी...या ग्रीन टी ?" 
उत्तर--- "जी, सीलोन टी" 

प्रश्न--- "भैंस का दूध...गाय का दूध या बकरी का या... ?" 
उत्तर--- "बस...बस...भाभीजी, गाय का दूध" 

प्रश्न--- "फ्रीजलैंड की गाय...आफ्रिकन गाय या...भारतीय गाय..या..?" 
उत्तर-- "रहने दीजिये भाभी जी, मुझे ब्लैक टी ही पिला दीजिये" 

प्रश्न--- "शक्कर के साथ...स्वीटनर....एस्पार्टम....शहद...या..?" 
उत्तर--- "जी, शक्कर के साथ" 

प्रश्न--- "बीट शुगर या कैन शुगर या...?" 
उत्तर--- "जी, कैन शुगर" 

प्रश्न--- "व्हाइट या ब्राउन शुगर या..?" 
उत्तर--- "अरे चाय को छोड़िये ना भाभी जी, आप तो बस एक गिलास पानी पिला दीजिए" 

प्रश्न--- "मिनरल वाटर...टेप वाटर...स्पर्कलिंग वाटर...या डिस्टिल्ड वाटर...या...?" 
उत्तर--- "मिनरल वाटर" 

प्रश्न--- "फ्लेवर्ड या नॉन फ्लेवर्ड...या..?" 
उत्तर---" जी....नॉन फ्लेवर्ड" 

प्रश्न--- "बिसलरी...एक्वाफिनो....हिमालयन...नीर....न्यासा....या......?" 
उत्तर---" माफ़ कीजिये भाभी जी, मुझे तो लगता है मैं, प्यास से ही मर जाऊँग" 

प्रश्न--- "आप कैसी मृत्यु चाहेंगे ? हमारे शेयर होल्डर होकर....या हमारे ऑथराइज्ड डीलर...
या सप्लायर.... या कस्टमर बनकर ....? " 


:-) :-) 
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मानसिक रोगी का परीक्षण :-)


एक मानसिक चिकित्सालय में एक पत्रकार ने डॉक्टर से प्रश्न किया :- 

"आप कैसे पहचानते हैं कि कौन मानसिक रोगी है और कौन नहीं ? " 

डॉक्टर -- "हम एक बाथटब को पानी से पूरा भर देते हैं और मरीज को, एक चम्मच एक गिलास और एक बाल्टी देकर कहते हैं कि वो बाथटब को खाली करे।" 

पत्रकार -- "अरे वाह, बहुत बढ़िया। यानी जो नार्मल व्यक्ति होता होगा वो बाल्टी का उपयोग करता होगा क्योंकि वो चम्मच और गिलास से बड़ी होती है" 

डॉक्टर ---" जी नहीं..... नार्मल व्यक्ति बाथटब में लगे हुए ड्रेन प्लग को खींच कर टब को खाली करता है। 
आप 39 नंबर के बैड पर जाइए ताकि हम आप की पूरी जाँच कर सकें। " 



[अगर आप ने भी बाल्टी ही सोचा था तो कृपया बैड नंबर 40 पर जाइए] 

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मंगलवार, मार्च 24, 2015

छोटे तिवारी और बोर्ड की परीक्षा :-)


[आजकल बोर्ड परीक्षा में नक़ल होने की बहुत चर्चा हो रही है ... 
 लीजिये पेश है हमारे दौर की एक सच्ची घटना] 
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कसबे में चारों तिवारी भाइयों ने दबंगई और मार-पीट में अभूतपूर्व ख्याति अर्जित की हुई थी ! कौन से नंबर का भाई ज्यादा खुराफाती है, ये शोध का विषय था ! 
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इस साल सबसे छोटे तिवारी का मूड हो आया कि बोर्ड का परीक्षा क्लियर करना है, बस तब क्या था ,,, बडकऊ तिवारी अगले रोज ही प्रधानाचार्य के कमरे में धमक पड़े - "गुरु जी इस साल छोटे को पास कराने की जिम्मेदारी आपकी है" 
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प्रधानाचार्य बेचारे क्या करते ... वृन्दावन में रहना है तो राधे-राधे कहना है ... तत्काल चौबे और अस्थाना अध्यापक को बुलाया और समझा दिया - "कुछ करिए आप लोग" 
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अगले रोज पुलिस कर्मियों की सुरक्षा में बोर्ड की परीक्षा शुरू हुई ! पहला परचा हिंदी का था ... कक्ष में सारे छात्रों को प्रश्न-पत्र और कापियां वितरित कर दी गयीं .. छोटे तिवारी को जान-बूझकर सबसे पीछे कोने में बैठाया गया ! 
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दस-पंद्रह मिनट हुए थे कि चौबे जी एक कुंजी (उत्तर पुस्तिका) लेकर छोटे तिवारी के पास गए और बोले - "लो इसे रख लो और लिखना शुरू करो" 
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जरा देर बाद चौबे जी दोबारा पलटे ... तो देखा छोटे तिवारी घूर रहे हैं ! चौबे जी हडबडा गए, पूछा - "क्या हुआ ,,, इससे देखकर जवाब लिखते क्यूँ नहीं ?" 

छोटे तिवारी जोर से भुनभुनाए - "गुरूजी हमका आल्हा न सिखाओ ,,, चुप्पै ई बताओ कुंजी में कौन से पन्ने का क्या-क्या लिखना है ... पेन से निशान लगा के बतावौ ...." 
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विशेष : आगे चलकर छोटे तिवारी दो बार विधायकी का चुनाव जीते !


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The End
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