एक कालोनी टाईप मोहल्ला था ! वहीँ के लोगों ने स्थानीय रख-रखाव व अन्य कार्यक्रमों के लिए एक मोहल्ला समिति बनायी और बुजुर्ग रईस अहमद को सर्व सम्मति से अध्यक्ष बना दिया था ! जैसा कि अन्य अच्छे मोहल्लों में होता है वैसा ही वहाँ भी माहौल था - जमादार सड़कें साफ़ करता, कूड़े वाला कूड़ा ले जाता, माली पार्क का रख-रखाव करता, रात में एक चौकीदार डंडा लेके सीटी बजाता घूमता, साल में एक-दो बार खेल-कूद के आयोजन संपन्न होते !
उसी मोहल्ले में खुरपेंची लाल भी थे, गजब के नुकतेबाज...हर बात में कमियां गिनाते, सबकी हरामखोरी और मक्कारी का रोना रोते, मोहल्ला समिति के फंड में गड़बड़ी की बात करते ! लोग खुरपेंची लाल की क्रांतिकारी बातों से बहुत प्रभावित होते ! तमाम 'बिजी विदआउट वर्क' वाले छुटभैय्ये खुरपेंची लाल के प्रभाव में आते चले गए !
एक दिन अचानक ही मोहल्ला समिति की मीटिंग बुलायी गयी और बुजुर्ग रईस अहमद की जगह खुरपेंची लाल को अध्यक्ष चुन लिया गया ! रईस अहमद ने भी मन ही मन राहत की सांस ली कि इस 'थैंकलेस जॉब' से छुट्टी मिली !
मोहल्ले वालों ने खुरपेंची लाल के अध्यक्ष बनने पर खूब ढोल-नगाड़े बजे और जिंदाबाद के नारों के साथ जुलूस निकाला ! हफ्ता-दस दिन तो जश्न और बधाई में गुजर गए ! उसके बाद क्रांतिकारी परिवर्तन का दौर शुरू हुआ !
खुरपेंची लाल ने पार्क के माली को हरामखोरी से मुक्त करते हुए कहा कि मेरे कई दोस्त एग्रीकल्चर, और फारेस्ट डिपार्टमेंट में हैं, उनसे कहूंगा तो दो-तीन माली आकर पार्क की काया पलट कर देंगे, आप लोग देखना ये पार्क फूलों से भर जाएगा !
फिर निकम्मे चौकीदार को जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए कहा - "सिक्योरिटी सर्विस से बात करके मोहल्ले में वर्दीधारी सिक्योरिटी गार्ड नियुक्त करवाऊंगा, चोर-बदमाश तो सात फुटे सिक्योरिटी गार्ड को देखते ही भाग जायेंगे !"
उसके उपरान्त जमादार और कूड़े वाले को बुलाकर उनकी काहिली गिनाई गयी, दोनों को जब उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया गया तो दोनों एक साथ बोले - "बाबू जी आप किसी और को देख लो !" खुरपेंची लाल ने तमक के कहा - "भागो ~ यहाँ तुम जैसे काहिलों की कोई जरुरत नहीं, कल ही नगर निगम जाऊँगा और सब इंतजाम हो जाएगा !"
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खैर !!!
इस तरह के तमाम क्रांतिकारी कदम खुरपेंची लाल द्वारा उठाये गए !
-दिन पर दिन बीतते गए !
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मोहल्ले का पार्क उजाड़ हो गया !
गलियों में गंदगी और कूड़ा जमा रहता है !
जब-तब छोटी-मोटी चोरियों की खबर भी सुनायी देती हैं !
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खुरपेंची लाल आज भी पनवाड़ी और चाय की दूकान पे सबकी हरामखोरी और निकम्मेपन को गालियां देते दिख जाते हैं
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The End
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सम सामयिक बेहतरीन
जवाब देंहटाएंआदरणीय रमाकांत जी
हटाएंआपका बहुत आभार
too good
जवाब देंहटाएंशिखा जी
हटाएंथैंक यू वैरी मच
Prakash bhai kya scene kheencha hai colony ka .. khurpainchi jaise munh se sirf bolne wale krantikaari har samaaj aur har society mein beshumaar hain .. log taleem ki kami ki wajah se unki baton mein aakr unko leader bana dete hain aur anjaam ... aisa hi hota hai .. aapne is post mein samaj ki sahi akkasi ki hai
जवाब देंहटाएंसफीर भाई
हटाएंयहाँ तशरीफ़ लाने का तहे दिल से शुक्रिया
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मैं ऐसे बहुत सारे खुरपेंची लाल टाईप लोगों को देखता रहा हूँ , जो खुद तो कुछ करके मिसाल कायम नहीं करते लेकिन दुसरे के हर काम में नुक्स निकाला करते हैं, उनको अपने अलावा सब गलत लगते हैं !
यशवंत भाई
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
Waah re Khurpenchi Lal ji :-)
जवाब देंहटाएंis type ke khurpenchi har jagah dikh jaate hain.
ऐसे खुरपैंचीलाल आज भी हर जगह हर मोहल्ले में मिल जायेंगे.जिनका काम हुए को सराहना नहीं किसी भी तरह आधिपत्य जमा चौधराहट हासिल करना होता है.किसी भी काम की आलोचना करना सरल है काम करना कठिन. बड़ी अच्छी सामायिक रचना,
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