मंगलवार, अक्तूबर 14, 2008

रोजाना


(कविता)

देखिये जनाब,
आज का दिन,
फिर ऐसे ही गुजर गया,
मै सुबह उठा,
चाय, सिगरेट, अखबार,
यानी वही सब रोजाना के बाद,
मै यही सोचता रहा,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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फिर जनाब मै दफ्तर गया,
फाइल, दस्तखत, साहब की झिड़की,
यानी कि वही सब रूटीन के बाद,
मै यही सोचता रहा,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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और ऑफिस के बाद,
मै अपनी प्रेमिका से मिला,
छिटपुट प्यार, व्यापार और तकरार,
यानी वही सब कुछ के बाद,
हम यही सोचते रहे,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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फिर शाम को जनाब हम,
एक सभा में सम्मिलित हुए,
मार तमाम प्रस्तावों,
विवादों और घोषणाओं के बाद,
हम सब इसी निष्कर्ष पर पहुंचे,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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रात में जनाब,
डिनर, टीवी, और बीबी के बाद,
इन्टरनेट पर ब्लागबाजी करते हुए,
हम सब यही कहते रहे,
कि आख़िर ऐसा कब तक चलेगा !!
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और देखिए जनाब,
आज का दिन,
फिर ऐसे ही गुजर गया
!!!!!!!!

14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह भाई प्रकाश जी /आपने तो पूरे दिन का चिट्ठा ही लिख डाला /बैसे [[तीसरे पेराग्राफ की दूसरी लाइन वाली बात घर पर बतलाई या नहीं /बताना चाहिए /जो करो ऐलानिया करो /लेकिन कुछ भी कहो दिन बहुत ही अच्छा गुजरा /दूसरे पैराग्राफ की दूसरी लाइन पर ज़्यादा ध्यान मत देना ये साहब लोगों की आदत ही होती है /चौथा पेराग्राफ =कुछ आपकी तरफ़ से भी घोषणाएं हुई या नहीं आप तो माशाल्लाह ऐसी हस्ती होंगे जिन्हें सभाओं में बुलाया जाता है /एक हम है कोई गोष्ठी में तक नहीं बुलाता /जो अच्छे साहित्यकारों की गोष्ठियां हैं उनमें मुझे कोई बुलाता नहीं है -और जिन गोष्ठियों में मुझे बुला लिया जाता है उनमें में जाता नहीं यह सोच कर जो मुझ जैसे को बुला रहे हैं उनका स्तर कैसा होगा ऐसी गोष्ठियों में क्या ज़ाना/ इसलिए में गोष्ठियों और सभाओं से बंचित हूँ /शेष कुशल है /

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  2. पहली बार आपको पढ़ा है, रजिया साहिबा के ब्लाग पर आपके कमेंट्स में एक नज़्म देखकर आपके ब्लाग पर आया ! आपकी कलम में दम और ईमानदारी दिखती है ! चूंकि आपके विचार अच्छे लगे, एक गुस्ताखी, फोटो चेंज करने की सलाह दे रहा हूँ ! बुरा नही मानियेगा...
    क्योंकि हिन्दी ब्लाग जगत में अक्सर विद्वानों को सलाह मूर्खों द्वारा दिए जाने का रिवाज है ...सो मैं भी यह रस्म पूरी कर रहा हूँ !
    शुभकामनायें !

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  3. kamaal dar diya sach mein! aapki profile dekhi. you read l´etranger of albert camus! i was really amazed to see that... i lived in algeria for about two years. it was one of the best days of my life...i didnt know ppl read him in India! thanks for visiting my blog and your good wishes.. lets keep in touch!

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  4. ji prakash ji achchha kaha aapne adhiktar log yahi kahte hai raat ko

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  5. bahut sateek aur saarthak kavita hai aapki. bahut kucch sochne par vivash karti hai.

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  6. i agree your idea ! very nice blog

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  7. पहली बार आपको पढ़ा ....बढ़ी इमानदारी से रोजनामचा लिख दिया ...अच्छा लगा और ब्लॉग का अनुशरण भी किया ! फुर्सत में कभी पधारे !
    नई पोस्ट विरोध
    new post हाइगा -जानवर

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    1. यहाँ तशरीफ़ लाने का बहुत शुक्रिया !
      अवश्य आउंगा

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  8. ऐसा कब तक चलेगा :D प्रेमिका भी बीबी भी :D

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    1. प्रिय मुकेश जी
      आपकी सहूलियत के लिए प्रेमिका और बीवी को एक ही मान लेते हैं यानि जो प्रेमिका है वही बीवी है :-)

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