शुक्रवार, अक्तूबर 10, 2014

मंत्री जी का साला

पूलिस विभाग मे भर्ती की प्रक्रिया चल रही थी,
भर्ती प्रक्रिया मे मंत्री जी का साला भी भाग ले रहा था,
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स्वभाविक था कि
सब अपनी ओर से जो चापलूसी कर सकते थे, करने का प्रयास कर रहे थे
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500 मीटर की रेस पूरी हुईं,
मंत्री जी के साले साहब ने 4 मिनट 30 सेकेण्ड मे रेस पूरी की !
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उपनिरीक्षक ने लिस्ट बनाते समय 4 मिनट कर दिया
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लिस्ट जब आफिस पहुँची, तो अधिकारी ने सोचा 4 मिनट मे रेस पूरी की है,
उसने उसे 3 मिनट 30 सेकेण्ड कर दिया !
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इसी प्रकार लिस्ट डी.एस.पी , एस.पी और डी.आई.जी से होती हुई
आई.जी के पास पहुँची तब समय 1 मिनट 35 सेकेण्ड तक हो गया था
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आई जी ने जैसे ही लिस्ट को देखा चौक पड़े ....
उन्होंने अपने पी ए से पूछा -
"ये कौन है जिसने 1 मिनट 35 सेकेण्ड मे रेस पूरी की ?"
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पी ए ने बताया - "सर मंत्री जी का साला है"
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आई.जी बोले :-
"अबे भूतनी के वो सब तो ठीक है,
लेकिन विश्व रिकार्ड का तो ध्यान रखते"

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 The End
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रविवार, सितंबर 14, 2014

जन धन योजना वाया भेजा फ्राई

ग्राहक - जन धन योजना में खाता खुलवाना है ।
बैंकर - खुलवा लीजिये ।
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ग्राहक - क्या जीरो बैलेंस में खाता खुल रहा है ?
बैंकर - (मन ही मन में - साले पता नहीं है क्या तुझे) हाँ जी फ्री में खुलवाओ ।
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ग्राहक - इसमें सरकार कितना पैसा डालेगी ?
बैंकर - जी अभी तो कुछ पता नहीं ।
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ग्राहक - तो मैं ये खाता क्यूँ खुलवाऊं ?
बैंकर - जी मत खुलवाइये ।
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ग्राहक - फिर भी सरकार कुछ तो देगी ।
बैंकर - आपको फ्री में ATM मिल जाएगा ।
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ग्राहक - जब उसमे पैसे ही नहीं होंगे मैं ATM का क्या करूँगा ।
बैंकर - पैसा डलवाओ भईया ! तुम्हारा खाता है ।
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ग्राहक - मेरे पास पैसे होते तो मैं पहले ही खाता नहीं खुलवा लेता । 
तुम खाता खोल रहे हो तो तुम डालो न पैसे ।
बैंकर - अरे भाई सरकार खुलवा रही है
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ग्राहक - तो क्या ये सरकारी बैंक नहीं है ?
बैंकर - अरे भाई सरकार तुम्हारा इंश्योरेंस फ्री में कर रही है पूरे 1 लाख रूपए का ।
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ग्राहक - खुश होते हुए , अच्छा तो ये 1 लाख मुझे कब मिलेंगे ?
बैंकर - (गुस्से में) , जब आप मर जाओगे तब आपकी बीवी को मिलेंगे ।
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ग्राहक - चौंक कर , तो तुम लोग मुझे मारना चाहते हो और मेरी बीवी से तुम्हारा क्या मतलब है ?
बैंकर - अरे भईया, ये हम नहीं सरकार चाहती है कि...........
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ग्राहक - (बीच में बात काटते हुए) .. तुम्हारा मतलब सरकार मुझे मारना चाहती है ?
बैंकर - अरे यार मुझे नहीं पता ! तुम्हे खाता खुलवाना है क्या ?
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ग्राहक - नहीं पता का क्या मतलब । मुझे पूरी बात बताओ ।
बैंकर - अरे अभी तो मुझे भी पूरी बात का नहीं पता .......
मोदी ने कहा है खाता खोलने को तो हम खोल रहे हैं ।
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ग्राहक - अरे जब पता ही नहीं तो यहाँ क्यूँ बैठे हो ?
(जन धन का पोस्टर दिखाते हुए ) अच्छा ये 5000 का ओवर ड्राफ्ट क्या है ?
बैंकर - मतलब तुम अपने खाते से 5000 निकाल सकते हो ।
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ग्राहक - (बीच में बात काटते हुए}, ये हुई ना बात । 
यह लो आधार कार्ड, 2 फोटो और निकालो 5000 रुपये ।
बैंकर - अरे भई , ये पैसे 6 महीने बाद मिलेंगे ।
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ग्राहक - तो क्या 6 महीने तक तुम मेरे पैसों को अपने काम में इस्तेमाल करोगे ?
बैंकर - भईया ये रूपए ही 6 महीने बाद आयेंगे ।
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ग्राहक - झूठ मत बोलो.......पहले बोले कुछ नहीं मिलेगा ....फिर कहा ATM मिलेगा ....फिर बोले इंश्योरेंस मिलेगा .....फिर बोलते हो 5000 रुपया मिलेगा ....फिर कहते हो कि नहीं मिलेगा .....तुम्हे कुछ पता भी है या नहीं ?
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बैंकर बेचारा - अय्यो अम्मा, कानून की कसम, भारत माता की कसम..सच कहता हूँ मोदी जी ने अभी कुछ नहीं बताया .....तुम चले जाओ । खुदा की कसम , तुम जाओ । मेरी सैलरी इतनी नहीं है कि मैं एक साथ "ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक" का इलाज करवा सकूँ ।

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The End
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रविवार, अगस्त 24, 2014

बिल्ली के गले में घटी ...

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी चूहों का चिंतन शिविर चल रहा था ! चर्चा भी वही ,,,,घोषणाएं भी वही,,,समस्याएं भी वही ... कहीं कुछ भी नया नहीं !
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अचानक ही एक सुशिक्षित युवा चूहा खड़ा हुआ और बोला -
'सभापति महोदय मैं भी कुछ कहना चाहता हूँ'
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सभापति ने माईक संभाला और गला खखारकर बोले - 'हाँ कहो'
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युवा चूहा बोला :- बिल्ली के गले में घंटी बाँधने का विचार हमारे दादा-परदादा के समय व्यक्त किया गया था ... मैं जानना चाहता हूँ कि उस सम्बन्ध में क्या प्रगति हुयी ?
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उत्साहित युवा चूहे की बात सुनकर सभा में उपस्थित सभी गणमान्य चूहे हंसने लगे ! एक बुजुर्ग चूहा खड़ा हुआ :- हमें बिल्ली से खतरा हमेशा बना रहेगा ,,, इस बारे में सभी पुराने उपाय सोचे जा चुके हैं ...पुरानी से पुरानी किताबों का अध्ययन कर लिया गया है ... इस बारे में चर्चा करके शिविर का कीमती समय नष्ट करने से कोई फायदा नहीं है
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युवा चूहे ने एक बार पुनः अपनी बात रखी :- सभापति महोदय मुझे एक कोशिश की अनुमति प्रदान करें !
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शिविर में उपस्थित सभी चूहों के चेहरों पर तंज उभर आया ! सभापति ने चर्चा को विराम देने के उद्देश्य से कहा :- ठीक है ... ठीक है .. आप करें कोशिश !
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चिंतन शिविर के अगले दिन युवा चूहा उत्साहित मुद्रा में बोला :- सभापति महोदय मैंने महल की सबसे खतरनाक बिल्ली के गले में घंटी बाँध दी है !
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सभापति महोदय और समस्त उपस्थित चूहों को यकीन नहीं हुआ ... दो-तीन चूहों को तत्काल जांच के लिए भेजा गया !
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थोड़ी देर बात ही जांच करने गए चूहे वापस आये और हर्षमिश्रित आवाज़ में बोले - हाँ महोदय ...बात सही है .. बिल्ली के घंटे में घंटी बंधी हुयी है ,,,बिल्ली जैसे ही चलती है घंटी की आवाज आने लगती है !
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सभापति महोदय ने युवा चूहे से जिज्ञाषा प्रकट की :- सभी लोग इस बात को जानना चाहते हैं कि तुमने ये काम किया कैसे ?
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युवा चूहा खड़ा हुआ और बोला :- दरअसल आप लोग हर समस्या का समाधान पुराने तरीकों से खोजते रहे हैं ... हमारे दादा-परदादा ने क्या किया ....हमारी पुरानी किताबों में क्या लिखा है .. बस उसी का अध्ययन करते रहे .. हम क्यों नहीं नयी तरह से सोचते ... क्यों नहीं समाधान के लिए नए प्रयास करते ?
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सभापति महोदय उबासी लेते हुए बोले :- भाषण की जरुरत नहीं ...सिर्फ ये बताओ कि घंटी बाँधी कैसे ?
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युवा चूहा बोला :- मैंने गंभीरता से सोचा तो एक आसान तरीका सूझा ... मैं केमिस्ट के यहाँ से 3-4 नींद की दवा ले आया ... उस नींद की दवा को दूध में मिला दिया और एक कटोरी में दूध रखकर बिल्ली के घर के पास रख दिया ..... कुछ समय बाद बिल्ली वहां आई, उसने दूध पिया ... मैं छुपकर इन्तजार करता रहा ... जैसे ही बिल्ली गहरी नींद में हुयी .. बस मैंने जाकर अच्छी तरह से बिल्ली के गले में घंटी बाँध दी !!
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सभापति महोदय बोले :- हमारे पूर्वज वाकई बहुत महान थे .. उनका ही उपाय काम आया !
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The End
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शनिवार, अगस्त 23, 2014

बिल गेट्स और बिहारी

बिल गेट्स ने अपने माइक्रोसॉफ्ट के कनाडा के बिज़नेस के लिए चेयरमैन की जॉब के लिए एक इंटरव्यू रखा... इंटरव्यू के लिए 5000 लोग एक बड़े होल में इकट्ठा हुए...

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इन सब में एक कैंडिडेट पटना, बिहार से भी थे... नाम था ‘रघुवीर यादव’
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बिल गेट्स :- इंटरव्यू में आने के लिए आप सबका शुक्रिया...
जो लोग java नहीं जानते हैं, वो जा सकते हैं
(ये सुन कर 2000 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
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‘रघुवीर यादव’ ने मन में सोचा, “मुझे कौन-सा ससुरी java आती है... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है”
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बिल गेट्स :- जिन लोगों को 100 लोगों से बड़ी टीम को मैनेज करने का तजुर्बा नहीं हैं, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 2000 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
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‘रघुवीर यादव’ ने मन में सोचा, “मैंने तो ससुरी भैंस भी एक साथ 3 से ज्यादा नहीं चराई... ये 100 लोगों की टीम मैनेज करने की बात कर रहा है... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है”
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बिल गेट्स :- जिन लोगों के पास मैनेजमेंट का डिप्लोमा नहीं है, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 500 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
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‘रघुवीर यादव’ ने मन में सोचा, “मैंने तो 8वी क्लास में ही स्कूल छोड़ दिया था... ये ससुरा डिप्लोमा की बात कर रहा है... ... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है...”
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सबसे आखिर में बिल गेट्स ने कहा :- जो लोग जापानी भाषा में बात नहीं कर सकते, वो जा सकते हैं...
(ये सुन कर 498 लोग रूम छोड़ कर चले गए)
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‘रघुवीर यादव’ ने मन में सोचा, “मुझे तो जापानी भाषा का एक शब्द भी नहीं आता... लेकिन रुकने में ही क्या नुकसान है... देखते हैं आगे-आगे क्या होता है...”
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अब ‘रघुवीर यादव’ ने पाया की वो खुद और सिर्फ़ एक ही और candidate इंटरव्यू के लिए बचे हैं... बाकी सब जा चुके थे...
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बिल गेट्स उन दोनों के पास आया और उनसे कहा, “जैसा की आप देख सकते हैं कि अब सिर्फ़ आप दोनों ही हैं candidate बचे हैं जो जापानी भाषा जानते हैं... में चाहूँगा कि आप दोनों आपस में जापानी में बात करके दिखाएँ”
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‘रघुवीर यादव’ ने धीरे से दूसरे candidate से पूछा :- “कौन जिला घर पड़ी हो..??”
दूसरे ने जवाब दिया, “छपरा... ...और तोहार ?”

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The End
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सोमवार, अगस्त 11, 2014

आदमी और बाजार


वह जब माळ के भीतर दूकान में घुसा तो दूकान वाले ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया !
ऐसा पहली बार नहीं हुआ, पता नहीं उसके चेहरे में ऐसा क्या है कि वो दूकानदार में अपनी दिलचस्पी नहीं जगा पाता !
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दुकानदार मानकर चलता है कि ये कुछ नहीं खरीदने वाला, लेकिन वो कहना चाहता है कि मैं नमक, हल्दी, चावल और साबुन तो खरीदता ही हूँ ,,, और भी तमाम चीजें ! मैंने कंप्यूटर भी खरीदा है और चश्मा तो हर साल खरीदता हूँ !
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बहरहाल दूकान वालों को देखकर यह लगता है कि वे पहले से ही जानते हैं कि वो कुछ खरीदने वाला नहीं है ! इस वजह से वो दूकान में उड़ा-उड़ा सा रहता है और कई बार तो भूल भी जाता है कि वो दूकान में आया तो किसलिए !
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दुकानदार लोग शायद उसे इस तरह के आदमी के तौर पर देखते हैं जिसका काम बिना खरीदे ही चल सकता है ! वे नहीं चाहते कि उस जैसा आदमी दूकान में दाखिल हो ! वे नहीं चाहते कि ऐसा आदमी बाजार में दिखे, जिसका काम बिना खरीदे ही चल जाता हो !
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The End
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