शुक्रवार, जून 10, 2016

हिन्दू और मुसलमान दोनो धरती के बोझ है ?


250 वर्ष का इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि वर्ष 1800 के बाद जो दुनिया मे तरक़्क़ी हुई, उस मे पश्चिम मुल्को यानी सिर्फ यहूदी और ईसाई लोगो का ही हाथ है। हिन्दू और मुस्लिम का इस विकास मे 1% का भी योगदान नही है। 
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1800 से लेकर 1940 तक हिंदू और मुसलमान सिर्फ बादशाहत या गद्दी के लिये लड़ते रहे। दुनिया के 100 बड़े वैज्ञानिको के नाम लिखे तो बस एक या दो नाम हिन्दू और मुसलमान के मिलेंगे। 
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पूरी दुनिया मे 61 इस्लामी मुल्क है, जिनकी जनसंख्या 1.50 अरब के करीब है, और कुल 435 यूनिवर्सिटी है। दूसरी तरफ हिन्दू की जनसंख्या 1.26 अरब के क़रीब है और 385 यूनिवर्सिटी है, जबकि अमेरिका मे 3 हज़ार से अधिक, जापान मे 900 से अधिक यूनिवर्सिटी है। ईसाई दुनिया के 45% नौजवान यूनिवर्सिटी तक पहुंचते है, वही मुसलमान के नौजवान 2% और हिन्दू के नौजवान 8 % तक यूनिवर्सिटी तक पहुंचते है। दुनिया के 200 बड़ी यूनिवर्सिटी मे से 54 अमेरिका, 24 इंग्लेंड, 17 ऑस्ट्रेलिया, 10 चीन, 10 जापान, 10 हॉलॅंड, 9 फ़्राँस, 8 जर्मनी, 2 भारत और 1 इस्लामी मुल्क मे है। 
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अब हम आर्थिक रूप से देखते है। अमेरिका का जी.डी.पी 14.9 ट्रिलियन डॉलर है जबकि पूरे इस्लामिक मुल्क का कुल जी.डी.पी 3.5 ट्रिलियन डॉलर है। वही भारत का 1.87 ट्रिलियन डॉलर है। दुनिया की 38000 मल्टिनॅशनल कंपनी में से 32000 कंपनी सिर्फ अमेरिका और युरोप मे है। 
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अभी तक दुनिया के 10000 बड़ी अविष्कारो मे 6103 अविष्कार अकेले अमेरिका मे और 8410 अविष्कार ईसाई या यहूदी ने किये है। दुनिया के 50 अमीरो मे 20 अमेरिका से, 5 इंग्लेंड से, 3 चीन, 2 मक्सिको, 2 भारत और 1 अरब मुल्क से है। --- अब हम आप को बताते है कि हम हिन्दू और मुसलमान जनहित, परोपकार या समाज सेवा मे भी ईसाई और यहूदी से बहुत पीछे है। रेडक्रॉस दुनिया का सब से बड़ा मानवीय संगठन है। 
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बिल- मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन मे बिल गेट्स ने 10 बिलियन डॉलर से इस फाउंडेशन की बुनियाद रखी है। जो कि पूरे विश्व के 8 करोड़ बच्चो की सेहत का ख्याल रखती है। 
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वहीँ भारत मे कई अरबपति है। मुकेश अंबानी अपना घर बनाने मे 4000 करोड़ खर्च कर सकते है, और अरब का अमीर शहज़ादा अपना स्पेशल जहाज पर 500 मिलियन डॉलर खर्च कर सकता है मगर मानवीय सहायता के लिये आगे नही आ सकता है। 
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अब आप खुद अंदाजा लगाइये के हिन्दू और मुसलमान की इस धरती पे क्या औकात है। बस हर हर महादेव और अल्लाह हो अकबर के नारे लगाने मे हम सबसे आगे हैं।


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1 टिप्पणी:

  1. पूरी तरह सहमत पर ये भी देखना चाहिये कि पिछले 200-300 सालों में ही ईसीई और पश्चिमी जगत की तरक्की हुई है और इस दौरान भारत जो कि तरक्की में इन सबसे आगे था वो गुलामी में जकड़ गया था जिसकी वजह से उन्नत सभ्यता गरीब हो गई और पढ़ाई लिखाई की तरीका भी बदल गया इस वजह से भी हल लोग पिछड़ गये। यही हाल इस्लामी जगत का हुुआ। लेकिन अब परिस्थितियां बदत रही हैं।

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